केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनियों एयरटेल, वोडाफोन इंडिया लिमिटेड और हचीसन मैक्स स्टर्लिन के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया. इन कम्पनियों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासन के दौरान अतिरिक्त 2जी स्पेक्ट्रम हासिल करने का आरोप है.
सीबीआई ने आरोप पत्र में पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष तथा तीन दूरसंचार कम्पनियों के नामों का उल्लेख आरोपी के तौर पर किया है. इन पर आपराधिक साजिश रचने तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने 29 नवम्बर को सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह दूरसंचार कम्पनियों तथा राजग शासन के दौरान 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में भूमिका निभाने वाले लोगों पर अभियोग चलाए. सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश तब दिया, जब महान्यायवादी जी.ई. वाहनवती ने राजग शासन के दौरान इन कम्पनियों को अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाने में कथित अनियमितता पर अपना दृष्टिकोण पेश किया. राजग शासन में संचार मंत्री प्रमोद महाजन थे.
जांच एजेंसी ने अपनी प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में आरोप लगाया था कि इन कम्पनियों ने अवैध तरीके से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम हासिल किया, जिसके कारण राजकोष को 500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ.
दोनों कम्पनियों ने हालांकि इस बात से इंकार किया है कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए उन्होंने कोई गलत तरीका अपनाया.
सीबीआई ने यह भी कहा कि दूरसंचार विभाग ने महाजन के कार्यकाल (2001-2003) के दौरान दूरसंचार कम्पनियों के लिए आधार स्पेक्ट्रम की क्षमता 4.4 मेगाहट्र्ज से बढ़ाकर 6.2 मेगाहट्र्ज कर दिया था और ग्राहक आधारित मानदंड पर अतिरिक्त स्पेक्ट्रम भी आवंटित किए थे.