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कोयला घोटाला: अदालत ने मनमोहन सिंह को गवाह बनाने की याचिका खारिज की

जेआईपीएल और दोनों रूंगटा के खिलाफ इससे पहले अदालत ने सुनवाई की थी. अदालत ने कथित रूप से झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोयला ब्लॉक का आवंटन सुनिश्चित करने के लिए उनके खिलाफ आरोप तय किये थे.

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मनमोहन सिंह (फाइल)
मनमोहन सिंह (फाइल)

एक विशेष अदालत ने बुधवार को कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बचाव पक्ष के गवाह के रूप में तलब करने की मांग वाली झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) के निदेशक आरएस रूंगटा की याचिका खारिज कर दी.

विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर ने यह याचिका खारिज की. याचिका में प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय से लाए गए दस्तावेजों की वास्तविकता के बारे में गवाही के लिए सिंह को तलब करने का अनुरोध किया गया था.

मामले में रूंगटा के अलावा दो और आरोपी
सिंह के संबंध में आरोपी ने अपनी याचिका में कहा था, 'वह कोयला मंत्रालय के रिकॉर्ड और स्क्रीनिंग समिति के गठन, इसके कार्य और शक्तियों के बारे में उनके द्वारा किये गये फैसले को साबित करेंगे साथ ही कोयला मंत्रालय के रिकॉर्ड को भी साबित करेंगे.' आरएस रूंगटा के अलावा इस मामले के दो अन्य आरोपी जेआईपीएल और उसके अन्य निदेशक आर सी रूंगटा हैं.

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यह मामला झारखंड में उत्तरी धाडू कोयला ब्लॉक कथित रूप से झूठे तथा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जेआईपीएल को आवंटित करने से जुड़ा है. अदालत ने 21 नवंबर को इस मामले में आरोपियों के बयान दर्ज करने का काम पूरा किया था.

जेआईपीएल और दोनों रूंगटा के खिलाफ इससे पहले अदालत ने सुनवाई की थी. अदालत ने कथित रूप से झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोयला ब्लॉक का आवंटन सुनिश्चित करने के लिए उनके खिलाफ आरोप तय किये थे.

अदालत ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467 (कीमती सामान का फर्जीवाड़ा), 468 (धोखाधड़ी के उददेश्य से फर्जीवाड़ा) और 471 (फर्जी दस्तावेजों का असली के रूप में प्रयोग) के तहत अपराधों के लिए आरोप तय किये थे.

इनपुट- भाषा

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