कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी वर्ष 2016 में जब उनकी उम्र 70 वर्ष की हो जाएंगी तब वो राजनीति से रिटायरमेंट ले लेंगी. यही कारण है कि पार्टी ने उनके बेटे राहुल गांधी को बड़ी भूमिका देने के लिए आतुर बनाया. इसका दावा पत्रकार-लेखक रशीद किदवई ने अपनी किताब '24 अकबर रोड' में किया है. किदवई ने अपनी किताब के संशोधित संस्करण में कहा है कि कांग्रेस सोनिया गांधी के फैसले से दुखी है.
किदवई के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी इच्छा से अपने जन्मदिन 9 दिसंबर 2012 को पार्टी के बड़े नेताओं से अवगत कराया.
किताब में कहा गया है, 'इस घोषणा से पार्टी के नेता सन्न रह गए, क्योंकि भारतीय राजनीति में आज तक किसी नेता ने अवकाश नहीं लिया है. घबराए पार्टी नेताओं ने उनसे आग्रह किया कि राहुल को 'प्रभार' लेने दें.'
किताब में आगे लिखा है, 'राहुल (42) को मनाने का प्रयास तभी से जारी हो गया, लेकिन तब कांग्रेस के महासचिव रहे राहुल नहीं माने. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहुल को मंत्रिमंडल में आने के लिए मनाने का प्रयास किया.'
मनमोहन सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि राहुल गांधी मंत्रिमंडल में शामिल होने या पार्टी में नंबर दो की हैसियत में से किसी एक का चुनाव करें. राहुल ने संगठन को तरजीह दी.
इसीके बाद राहुल को जयपुर में आयोजित 'चेतना शिविर' में 19 जनवरी 2013 को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया.
किदवई का कहना है कि राहुल गांधी के उन्नयन के बावजूद कांग्रेस नेताओ को सोनिया गांधी के अवकाश की समय-सीमा दुखी कर रही है.