70 सीटों वाली विधानसभा की 67 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में तो रिकॉर्ड बना ही लिया है. लेकिन कई राज्यों में जनता ने इससे भी ज्यादा दिल खोलकर पार्टियों को बहुमत दिया है.
- 1989 और 2009 के चुनाव में सिक्किम डेमाक्रेटिक फ्रंट ने राज्य की सभी 32 सीटों पर जीत दर्ज की. किसी विधानसभा को विपक्षहीन बना देने वाली यह इकलौती पार्टी है. 2004 में भी इस पार्टी को 32 में से 31 सीटें मिलीं. मुख्यमंत्री पवनकुमार चामलिंग 30 साल से सत्ता में है और ज्योति बसु को पीछे छोड़ते हुए देश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं.
- 1991 में तमिलनाडु विधानसभा के चुनाव में एआईएडीएमके-कांग्रेस गठबंधन को 234 में से 225 सीटें मिली थीं. विपक्ष के तौर पर 9 ही विधायक थे. राजीव गांधी की हत्या के बाद यह माना जाने लगा था कि डीएमके के एलटीटीई से संबंध हैं, जो राजीव हत्याकांड में शामिल था. डीएमके को उस चुनाव में सिर्फ 2 सीटें मिली थीं.
- 1996 में तमिलनाडु में ही डीएमके और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ तो इसे 234 में से 221 पर जीत मिली. जयललिता पर सरकार में रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
- 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को 243 में से 206 सीटें मिलीं. विकास की उम्मीद पर उन्हें जनता ने भरपूर समर्थन दिया है.
- इसके अलावा त्रिपुरा में मानिक सरकार और पुद्दूचेरी में एन. रंगास्वामी के लिए भी लोगों का समर्थन जबर्दस्त है. सरकार 1998 से सत्ता में हैं, जबकि पुद्दूचेरी में जनता का दबाव रहता है कि सरकार में कोई भी हो, मुख्यमंत्री रंगास्वामी ही रहें. इन दोनों नेताओं को यह समर्थन उनकी इमानदार और कर्मठ छवि के कारण है.