राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों को महिलाओं के लिए 'असुरक्षित' करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हम महिलाओं के साथ सम्मान, समानता तथा आदर से पेश नहीं आते.' न्यायालय ने दुष्कर्म पीड़िताओं के कौमार्य परीक्षण की वैधता पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और केंद्र सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग तथा दिल्ली सरकार के राज्य परिवहन प्राधिकरण को नोटिस जारी किया.
याचिका में कौमार्य परीक्षण को महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताया गया है. इसमें देश में आपराधिक जख्म क्षतिपूर्ति बोर्ड गठित करने की भी मांग की गई है. न्यायमूर्ति के. एस. राधाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के चौथे वर्ष के छात्र निपुण सक्सेना की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये नोटिस जारी किए.
सक्सेना की दलील है कि न्यायालय ने 16 साल पहले क्षतिपूर्ति बोर्ड के गठन का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं किया गया. राज्य परिवहन प्राधिकरण को इस दलील पर नोटिस जारी किया गया कि जो निजी बसें मोटर वाहन अधिनियम की शर्तो को पूरा नहीं करतीं, उनके परमिट का नवीनीकरण नहीं किया जाना चाहिए.