स्थानीय अदालत ने गुरुवार को सीबीआई को सत्यम कंप्यूटर के घोटाले की जांच के लिए कंपनी के संस्थापक बी रामलिंग राजू और दो अन्य का लाईडिटेक्टर और ब्रेन मैपिंग परीक्षण कराने की मंजूरी दी है.
8 हफ्तों में परीक्षण की स्वीकृति
सीबीआई ने 24 मार्च को अदालत से फारेंसिक परीक्षण करने की मंजूरी देने की मांग की थी. सीबीआई के मामलों की सुनवाई करने के लिए नियुक्त अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मैजिस्ट्रेट के सुधाकर ने अगले आठ हफ्तों में राजू, उनके भाई रामा राजू और सत्यम के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी वाडलामणि श्रीनिवास के परीक्षण की स्वीकृति दी है.
जनवरी में हिरासत में लिए गए थे राजू
राजू और अन्य को जनवरी की शुरूआत में हिरासत में लिया गया था. कभी बोर्ड रूम में अरबों रुपयों का बैलेंस शीट देखने वाले रामलिंग राजू ने ऐसा टोपी पहनाया कि अब वह कोर्ट रूम में आईपीसी की धाराएं गिन रहे हैं.
सत्यम का घोटाला, एक नजर में:
16 दिसंबर 2008: सत्यम ने अपने बेटे की रियल एस्टेट कंपनी को खरीदने की योजना बनाई.
17 दिसंबर 2008: निवेशकों और व्यापारिक संगठनों के दवाब में फैसला वापस लिया
18 दिसंबर 2008: 29 दिसंबर को शेयर बायबैक के लिए बैठक की घोषणा
23 दिसंबर 2008: विश्व बैंक ने सत्यम पर 8 साल तक प्रतिबंध लगाई
26 दिसंबर 2008: कंपनी के स्वतंत्र निदेशक मंगलम श्रीनिवास ने इस्तीफा दिया
7 जनवरी 2009: रामलिंग राजू ने घोटाला को कबूला और पद से इस्तीफा दिया
9 जनवरी 2009: आंध्र प्रदेश पुलिस ने राजू और उसके भाई बी रामा राजू को गिरफ्तार किया
11 जनवरी 2009: भारत सरकार ने सत्यम बोर्ड में तीन निदेशक नियुक्त किए
14 जनवरी 2009: डेलॉयट और केपीएमजी को सत्यम को ऑडीटर बनाया गया
23 जनवरी 2009: राजू भाईयों और श्रीनिवास को न्यायिक हिरासत में भेजा गया
3 फरवरी 2009: सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को राजू से पूछताछ की इजाजत दी
6 फरवरी 2009: पूर्व नैसकॉम चेयरमैन किरण कार्णिक को सत्यम का बोर्ड अध्यक्ष चुना गया
13 अप्रैल 2009: टेक महिंद्रा ने 58 प्रति शेयर बोली लगाकर सत्यम के 31 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी