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मुस्लिमों के प्रति मोदी के रवैये से सरदार पटेल को होता बहुत ‘दुख’, बोले राजमोहन गांधी

सरदार पटेल को लेकर बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान की पृष्ठभूमि में पटेल के प्रसिद्ध जीवनीकार ने कहा है कि पटेल कभी भी मोदी को अपना वैचारिक उत्तराधिकारी न मानते और उन्हें मोदी के मुस्लिमों के प्रति रवैये से बहुत ‘दुख’ होता.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

सरदार पटेल को लेकर बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान की पृष्ठभूमि में पटेल के प्रसिद्ध जीवनीकार ने कहा है कि पटेल कभी भी मोदी को अपना वैचारिक उत्तराधिकारी न मानते और उन्हें मोदी के मुस्लिमों के प्रति रवैये से बहुत ‘दुख’ होता.

देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की जीवनी लिखने वाले और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी ने कहा कि पटेल ऐसा बिल्कुल नहीं मानते कि 2002 में गुजरात के दंगों के समय मोदी ने अपना ‘राजधर्म’ पूरी तरह निभाया था. इस जुमले का इस्तेमाल तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदी की भर्त्सना करने के लिए किया था.

गांधी ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि पटेल सिर्फ एक राजनीतिज्ञ के तौर पर ही नहीं बल्कि गुजरात के निवासी होने की वजह से भी इस बात से बहुत निराश, दुखी और परेशान होते कि ऐसी घटनाएं गुजरात में नहीं होनी चाहिए थीं और तत्कालीन सरकार इसे रोकने में सक्षम नहीं रही थी.’

सीएनएन-आईबीएन के ‘डेविल्स एडवोकेट’ कार्यक्रम में करण थापर से बात करते हुए राजमोहन गांधी ने कहा कि बीजेपी समर्थकों द्वारा या स्वयं ही खुद को पटेल का उत्तराधिकारी समझने वाले मोदी पटेल को न तो सही ढंग से समझते हैं और न ही उनका सही प्रतिनिधित्व करते हैं.

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उन्होंने कहा, ‘अगर मोदी इस छवि में उभरे होते तो बहुत अच्छा होता ,लेकिन दो वजहों से वह मात खा जाते हैं. पटेल ने गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की छत्रछाया में एक शिष्य की तरह अपना विकास किया. मोदी ने यह शुरुआत आरएसएस की छत्रछाया में की. यह एक बड़ा अंतर है.’

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा एक व्यक्ति के रूप में पटेल हमेशा से एक समूह का निर्माण करने वाले रहे हैं, दूसरे लोग उनके दैनिक जीवन में मुख्य भूमिका रखते थे. जबकि मोदी ऐसे हैं कि ..मैं चाहूंगा कि वह ऐसे ही रहें.’

हालांकि गांधी ने उन आलोचनाओं को स्वीकार किया कि पटेल के निधन के बाद के 63 वर्षों में कांग्रेस ने पटेल को लगभग भुला दिया या कहीं पृष्ठभूमि में डाल दिया है.

उन्होंने कहा कि नेहरू के बाद इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी इस क्षेत्र में आए लेकिन पटेल की किसी भी संतान को उनकी ताकत का फायदा या उनका उत्तराधिकार नहीं मिला.

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