सुब्रत राय को होली तिहाड़ जेल में ही मनानी पड़ सकती है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों का 20 हजार करोड़ रुपया लौटाने के बारे में नया प्रस्ताव पेश करने में सहारा समूह के विफल रहने के कारण गुरुवार को उन्हें जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया.
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की पीठ ने कहा कि यदि सहारा समूह निवेशकों का धन लौटाने के लिये नया प्रस्ताव रखेगा तो उनकी जमानत पर विचार किया जायेगा. न्यायालय ने 2500 करोड़ रुपये का तुरंत भुगतान करने और शेष राशि किस्तों में देने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया. इस प्रस्ताव को न्यायालय पहले भी ठुकरा चुका था.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘यदि कोई नया प्रस्ताव होगा तो हम विचार करेंगे.’ न्यायाधीशों ने अपने आदेश में कहा, ‘याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी द्वारा जमानत के अनुरोध पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस अदालत के निर्देशों पर अमल करते हुये भुगतान के लिये कोई प्रस्ताव अभी तक नहीं पेश किया गया है.’ तिहाड़ जेल में चार मार्च से बंद 65 वर्षीय सुब्रत राय की ओर से जेठमलानी ने जमानत देने का अनुरोध किया ताकि वह अपने परिवार के साथ होली मना सकें और गंभीर रूप से बीमार मां के साथ समय बिता सकें.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम बार बार आपसे कह रहे हैं कि आपका प्रस्ताव क्या है. हमें बतायें कि आप कितना धन दे सकते हैं. चाभी तो आपके ही हाथ में है.
जेठमलानी ने कहा कि इससे अधिक धन की व्यवस्था करना हमारे लिये संभव नहीं है क्योंकि सुब्रत राय के जेल में रहते हुये कोई भी हमारी मदद के लिये आगे नहीं आयेगा और सिर्फ वही धन का बंदोबस्त कर सकते हैं.
न्यायाधीशों ने जेठमलानी का यह अनुरोध ठुकारते हुये हिरासत के खिलाफ सुब्रत राय की याचिका पर सुनवाई 25 मार्च के लिये स्थगित कर दी. इससे पहले जेठमलानी ने बुधवार को इस मामले में आगे बहस करने में असमर्थता व्यक्त की. अगले सप्ताह होली के अवसर पर न्यायालय में अवकाश है. शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ राय की याचिका पर सुनवाई के लिये विशेष पीठ दो बजे बैठी और उसने कड़ी सुरक्षा के बीच मामले की सुनवाई की. न्यायालय के कक्ष में भी दिल्ली पुलिस के कुछ सुरक्षाकर्मी मौजूद थे.
सुनवाई के दौरान राय के वकील ने कहा कि उनकी हिरासत गैरकानूनी और असंवैधौनिक है. बहस के दौरान न्यायाधीशों और वकीलों के बीच कई बार हास परिहास के भी अवसर आये.
मामले की सुनवाई शुरू होते ही न्यायाधीशों ने कहा कि उन्हें याचिका में शर्मिंदगी वाली कोई बात नजर नहीं आयी जैसा कि उसके आदेश की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुये कल जेठमलानी ने कहा था. साथ ही न्यायाधीशों ने जेठमलानी से जानना चाहा कि क्या भुगतान के बारे में कोई नया प्रस्ताव है.
जेठमलानी ने कहा कि राय के जेल में बंद होने के कारण स्थिति और खराब हो गयी है. लोग जेल में बंद व्यक्ति से किसी तरह की अपेक्षा नहीं करते हैं. यदि वह बाहर आते हैं तो हम समस्या का सर्वश्रेष्ठ समाधान खोज सकते हैं. यदि वह जेल में होंगे तो कोई भी हमारी मदद नहीं करेगा. उन्होंने कहा, ‘जमानत मेरा अधिकार है और मेरे लिये चीजों को अधिक मुश्किल नहीं बनाया जाये.’ लेकिन न्यायाधीशों ने राय को किसी प्रकार की राहत देने से इंकार करते हुये कहा कि उन्हें पिछले डेढ़ साल में काफी मौके दिये गये हैं और साथ ही सेबी के वकील से कहा कि याचिका की विचारणीयता पर बहस की जाये.
राय की याचिका पर सुनवाई के लिये सहमति देते हुये न्यायाधीशों ने कहा कि हमने कई बार यहां तक निष्पादित मामले में भी अपने आदेश में सुधार किया है लेकिन हम समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या रिट याचिका पर ऐसा किया जा सकता है. हिरासत के खिलाफ राय की याचिका का विरोध करते हुये सेबी ने कहा कि उन्हें हिरासत में रखने का आदेश वैध और कानून सम्मत हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने कहा, ‘यदि कोई व्यक्ति ऐसा आचरण करता है तो फिर और किस तरह का आदेश दिया जा सकता है. आदेश पूरी तरह न्यायोचित है और यह न्यायालय के आदेश का पालन कराने का हथियार है.’ उन्होंने कहा कि 250 रुपये का भुगतान नहीं करने पर किसी व्यक्ति को आय कर विभाग छह महीने तक हिरासत में रख सकता है और यह तो 25 हजार करोड़ रुपये का मामला है.
सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि 4 मार्च के आदेश में मूलभूत और प्रक्रियागत त्रुटि है. उन्होंने कहा कि इस आदेश में गंभीर त्रुटि है क्योंकि इसमें एक तरह से 22,500 करोड़ रुपये का जमानती मुचलका निर्धारित किया गया है.