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पुलवामा हमले के बाद बदले नियम, सैनिकों के काफिले के करीब आने वाले समझे जाएंगे दुश्मन

पुलवामा हमले के बाद सुरक्षाबलों के काफिले की मूवमेंट को लेकर नए नियम तय किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वाले को शत्रु समझा जाएगा.

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सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो: पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों के काफिल पर हुए आत्मघाती हमले के बाद सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल खड़े हुए हैं. 14 फरवरी को दोपहर बाद 2500 जवानों को लेकर सुरक्षाबलों का 70 गाड़ियों का काफिला जब श्रीनगर हाईवे से गुजर रहा था तब पुलवामा में आतंकियों ने एक बस को निशाना बनाते हुए आत्मघाती हमला कर दिया. इसमें 40 जवान शहीद हो गए. 'आजतक' से बातचीत के दौरान जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यापाल मलिक ने सवाल उठाया था कि इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों का मूवमेंट एक साथ नहीं होना चाहिए था.

सुरक्षाबलों के मूवमेंट को लेकर पहले जो नियम थे उसके अनुसार काफिला गुजरते वक्त हाईवे पर सिविलियन वाहनों की आवाजाही पर रोक थी. लेकिन बाद में जनता के दबाव में इस नियम को खत्म कर दिया गया था. अब पुलवामा हमले के बाद एक बार फिर नियमों की समीक्षा कर फौज की मूवमेंट को लेकर नया एसओपी तैयार किया गया है. नए नियम इस प्रकार हैं:

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1. बिना रुके मूवमेंट

2. काफिले के मूवमेंट के दौरान सिविलियन गाड़ियों पर रोक

3. सिविलियन गाड़ियों को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की

4. काफिले की गाड़ियों पर लाल झंड़े लगे होगे ताकि कोई लाइन क्रॉस न करे

5. लाल झंडा क्रॉस करने वाली गाड़ी को शत्रु माना जाएगा

6. मूवमेंट के दौरान 15-20 मिनट के लिए उसी जगह पर ट्रैफिक ब्लॉक किया जाएगा जहां से काफिला गुजर रहा है

7. सेना, पुलिस और सीआरपीएफ समन्वय के साथ काफिले के मूवमेंट को और सुरक्षित बनाने का काम करेंगे

8. सीआरपीएफ रोड ओपनिंग पार्टी (ROP) बनाने का काम जारी रखेगी

9. आर्मी हाईवे डॉमिनेशन टीम सेना के काफिले को आगे, बीच में पीछे से सुरक्षा देंगी

10. नया नियम तोड़ने वाली और ओवरटेक का प्रयास करने वाली किसी भी गाड़ी को शत्रु समझा जाएगा

पुलवामा हमले के 100 घंटे बाद जहां सेना ने इसके जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद के आतंकिया का सफाया कर दिया. तो वहीं भविष्य में इस तरह के हमले न हों इसके लिए सतर्कता भी बरती जा रही है. मंगलवार को लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने कश्मीर के लोगों को अपील की है कि जिनके घर के युवाओं ने हाथ में हथियार उठाए हैं, उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा जाए नहीं तो उनका सफाया होगा. इसके साथ ही उन्होंने 'इंडिया टुडे' से बातचीत में कहा था कि सेना के ऑपरेशन के दौरान पत्थबाजी करने वाले लोग आतंकियों के सहयोगी माने जाएंगे. यदि उन्हें प्रदर्शन करना है तो इसके लिए अन्य लोकतांत्रिक तरीके हैं, लेकिन एनकाउंटर साइट पर नहीं.

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