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रुचिका मामला: हरियाणा, केंद्र सरकार और राठौड़ को नोटिस

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रुचिका गिरहोत्रा को एक स्थानीय स्कूल से निकाले जाने और हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौर की वजह से उसके परिवार को कथित तौर पर तकलीफ पहुंचने के मामले की जांच की मांग को लेकर दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर गुरुवार को केंद्र और सीबीआई को नोटिस जारी किये.

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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रुचिका गिरहोत्रा को एक स्थानीय स्कूल से निकाले जाने और हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौर की वजह से उसके परिवार को कथित तौर पर तकलीफ पहुंचने के मामले की जांच की मांग को लेकर दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर गुरुवार को केंद्र और सीबीआई को नोटिस जारी किये.

न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गिल एवं न्यायमूर्ति जसवीर सिंह की एक खंड पीठ ने भारत सरकार, हरियाणा प्रांत, सीबीआई और राठौर को नोटिस जारी किये हैं. दरअसल, ‘ग्लोबल ह्यूमन राइट्स काउंसिल’ नाम की एक गैर सरकारी संस्था ने अपने अध्यक्ष एवं स्थानीय अधिवक्ता रंजन लखनपाल के जरिये इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की थी. इन नोटिसों का जवाब 27 जनवरी तक मांगा गया है.

अदालत में दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि रुचिका उत्पीड़न मामले में कुछ पहलुओं की जांच किए जाने की जरूरत है, ताकि पीड़िता के परिवार को इंसाफ मिल सके और ऊंचे पद पर बैठे आरोपी पर मुकदमा चलाया जा सके. राठौर (67) को 14 साल की एक लड़की का उत्पीड़न करने के मामले में सिर्फ छह महीने की सजा सुनाये जाने और 1,000 रुपया जुर्माना लगाये जाने को लेकर लोगों में पैदा हुए असंतोष के मद्देनजर यह जनहित याचिका दायर की गई थी.

गैर सरकारी संस्था ने इस मामले में एक गहन जांच की मांग की है. संस्था ने रुचिका के भाई आशु को डकैती सहित झूठे मामलों में फंसाये जाने और राठौर द्वारा रुचिका का उत्पीड़न किये जाने के तीन साल बाद इस लड़की को आत्महत्या के कदम तक पहुंचाने वाली परिस्थितियों की गहन जांच की मांग की है. ‘सेकरेड हार्ट स्कूल’ को भी जनहित याचिका में जवाबदेहों की सूची में शामिल किया गया है.

गौरतलब है कि इस स्कूल ने फीस जमा नहीं करने का आधार देकर रुचिका को निष्कासित कर दिया था. बहरहाल, अदालत ने स्कूल को कोई नोटिस जारी नहीं किया है. लखनपाल ने जनहित याचिका में आरोप लगाया है, ‘‘जब यह लड़की रो रही थी, तब इस स्कूल ने उसे सहारा देने की बजाय उसे फीस नहीं चुकाने के तुच्छ आधार पर निष्कासित कर दिया.’’

लखनपाल ने आरोप लगाया है, ‘‘रुचिका को आत्महत्या तक पहुंचाने वाली परिस्थितियों के लिये यह स्कूल भी अन्य लोगों के बराबर जिम्मेदार है, जिन परिस्थितियों की वजह से रुचिका ने अपने उत्पीड़न के तीन साल बाद आत्महत्या कर ली.’’ उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि स्कूल ने राठौड़ के दबाव में आकर शायद रुचिका के खिलाफ कार्रवाई की थी, राठौड़ की बेटी भी उसकी ही कक्षा में पढ़ती थी.

रुचिका के उत्पीड़न के मामले की जांच में देरी और उसके भाई आशु को कथित तौर पर प्रताड़ित किये जाने तथा उसके खिलाफ दर्ज किये गये मामले को लेकर जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने अपील की है कि उच्च न्यायालय को इस तरह के मामलों में मार्गदर्शन करना चाहिए, ताकि आरोपी को न्याय के दायरे में लाया जा सके.

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