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राज्यसभा सदस्य रशीद मसूद एमबीबीएस सीट आवंटन मामले में दोषी

दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को राज्यसभा सदस्य रशीद मसूद को 1990-91 में बतौर स्वास्थ्य राज्यमंत्री देशभर में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अपात्र उम्मीदवारों को नामित करने का दोषी ठहराया.

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दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को राज्यसभा सदस्य रशीद मसूद को 1990-91 में बतौर स्वास्थ्य राज्यमंत्री देशभर में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अपात्र उम्मीदवारों को नामित करने का दोषी ठहराया.

स्पेशल सीबीआई जज जे पी एस मलिक ने केंद्रीय पूल से त्रिपुरा के लिए आवंटित एमबीबीएस सीटों के लिए 1990-91 के शैक्षणिक सत्र के लिए अपात्र उम्मीदवारों को नामित करने का दोषी ठहराया. इस अपराध के वक्त रशीद मसूद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे.

मसूद के अलावा दो शीर्ष नौकरशाह और अन्य भी दोषी ठहराए गए हैं. कोर्ट ने 1996 में सीबीआई द्वारा दर्ज एक जैसे 11 मामलों में यह फैसला सुनाया. इनमें से तीन मामलों में मसूद का नाम था. सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा था कि त्रिपुरा में इस राज्य का अपना कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है. सीबीआई के वकील वी एन ओझा ने कोर्ट में कहा था, ‘ऐसे में हर साल केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार) केंद्रीय पूल से देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस सीटें आंवटित करता है.’

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ओझा ने कहा था कि ये सीटें त्रिपुरा के पात्र उम्मीदवारों को उनकी मेधा के आधार पर आवंटित करने के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं. त्रिपुरा सरकार ने हर साल संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से उम्मीदवारों के चयन के लिए 1988 में त्रिपुरा संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड गठित किया था. उम्मीदवार नामित किए गए.

सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 1990-91 के शैक्षणिक सत्र के लिए कुछ उम्मीदवार आरोपी गुरदियाल सिंह के माध्यम से नामित किए गए जो उस समय त्रिपुरा के स्थानीय आयुक्त थे. वह गुजरात संवर्ग के आईपीएस अधिकारी थे जो प्रतिनियुक्ति पर त्रिपुरा सरकार में थे.

सीबीआई के अनुसार सिंह और मसूद ने आपस में मिलकर और उन उम्मीदवारों के साथ आपराधिक साजिश की जिन्हें त्रिपुरा के लिए नामित किया जाना था, जबकि उसके लिए उनके पास इसकी पात्रता नहीं थी.

सीबीआई ने एक उम्मीदवार के संदर्भ में कहा कि जांच में पता चला कि उसका पिता उत्तर प्रदेश में एक अखबार का संपादक था और वह अपने बेटे के लिए मेडिकल सीट के लिए मसूद से मिला. मसूद ने फिर इस संदर्भ में सिंह से संपर्क किया था.

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