वैश्विक स्तर पर निवेश सेवा देने वाली अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी गोल्डमैन सैश ने गुजरात विकास मॉडल की तारीफ करते हुए कहा है कि गुजरात जैसी श्रम संबंधी नीतियों को अपनाकर किसी भी अर्थव्यवस्था में एक दशक के भीतर करीब 4 करोड़ नई नौकरियों का सृजन किया जा सकता है.
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 2004 में गुजरात सरकार के किए संशोधन का हवाला देते हुए कहा कि इस फैसले से ना सिर्फ स्पेशल इकोनॉमिक जोन की कपंनियों को फायदा पहुंचा, बल्कि एक दशक में नई नौकरियों का निर्माण भी हुआ है. गुजरात सरकार के संशोधन के बाद किसी भी कंपनी के लिए बस एक महीने की नोटिस के आधार पर किसी भी कर्मचारी को निकालने की सुविधा मिली है.
रोजगार के आंकड़ों पर जोर देते हुए तुलना की गई है कि एक तरफ जहां 2000-12 में गुजरात में 60 फीसदी उछाल आया है वहीं पश्चिम बंगाल में केवल 22 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे कारण बताया गया है कि वर्किंग क्लास के पक्ष में पश्चिम बंगाल में जो नीतियां बनाईं गई, उनकी वजह से घाटे में चल रही फैक्ट्रियों को बंद करना लगभग नामुमकिन हो गया और निर्माण क्षेत्र के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा.
गोल्डमैन शैस ने देश की नई सरकार के लिए अर्थव्यवस्था को तेज़ करने के लिए श्रम संबंधी नीतियों पर फोकस करने का सुझाव दिया है. कपंनी ने कहा, ' अगर भारत ने लेबर मार्केट के लिए अर्थपूर्ण फैसले लिए, तो देश की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर फायदा होगा'.
अमेरिकी कपंनी की ये टिप्पणी देश में होने जा रहे आम चुनाव के मद्देनजर काफी अहमियत रखती है. खास तौर पर तब जब बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गुजरात विकास मॉडल बेचकर केंद्र की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में हैं.