'प्रधानमंत्री मोदी मेरी कहानी पढ़ेंगे तो हो सकता है कि रेप पीड़िताओं के लिए आश्रय और पुनर्वास की व्यवस्था तेज हो, ज्यादा से ज्यादा मामलों का फास्ट ट्रैक निपटारा हो व कानूनों को और मजबूत किया जाए. हां, मैंने नरेंद्र मोदी के लिए वोट किया था. मैं अपने सारे टैक्स भी देती हूं.'
हर रोज नहीं होता कि कोई अजनबी लड़की आपको फेसबुक पर मैसेज भेजे और अपने यौन उत्पीड़न की कहानी आपसे शेयर करने की इच्छा जताए. एक ऐसे दिन जब देश दोबारा निर्भया के लिए लड़ रहा है, उस पर बनी डॉक्युमेंट्री बैन कर दी गई है, मैं भारत की एक और बेटी प्रिया जैसन से टकराई.
32 साल की प्रिया ने जिंदगी में दो बार यह यातना सह चुकी है. पहली बार यौन उत्पीड़न बचपन में हुआ, फिर गैंगरेप हुआ. जैसन ने पीड़ा और अपमान की यह कहानी मुझसे शेयर की. उसका अंदरूनी लचीलापन, जीसस क्राइस्ट में उसका विश्वास, तेजी से बीतती उसकी उम्र और अपनी असहनीय कहानी साझा करने से न हिचकना; उसके जैसी महिलाओं और हकीकत से रूबरू होने के आतुर लोगों के लिए एक मिसाल है.
मेरे पिता यह सुनिश्चित करते थे कि मैं उनके पास सोऊं, सिर्फ अपने अंतर्वस्त्रों में. वह कहते थे कि यह वेंटिलेशन के लिए अच्छा है.
मैं चेन्नई में पैदा हुई अदयार नाम की जगह पर. मेरे पिता बिजनेसमैन थे, मां टीचर थीं. मेरे पैदा होने के बाद मां ने नौकरी छोड़ दी. मुझे याद है कि बचपन में मैं अपने पिता की पीठ की सवारी करना चाहती थी, लेकिन वह हमेशा मुझे रोक देते थे. वह अकसर काम के सिलसिले में बाहर रहते थे. तीन साल की उम्र में मां का देहांत हो गया. फिर दादी ने मेरी परवरिश की. 11 साल की उम्र में वह भी दुनिया छोड़ गईं. मैं इकलौती संतान थी तो रिश्तेदारों ने मुझे बोर्डिंग स्कूल भेजने की सलाह दी. मैंने मना कर दिया. मुझे अकेले रहने से डर लगता था.
मेरे पिता चाहते थे कि मैं हमेशा उन्हीं के कमरे में सोऊं. वह मुझे अपने पास सुलाना चाहते थे, अपने अंतर्वस्त्रों में. मुझे कभी टी-शर्ट या टॉप नहीं पहनने दिया जाता. हर रात उनके हाथ मेरे शरीर पर होते थे. जब मैं पूछती कि आप क्या कर रहे थे, तो वह कहते कि बस देख रहे थे कि मैं सो गई या नहीं. वह धमकी देते थे कि अगर मैं नहीं सोई तो वह मुझे बोर्डिंग स्कूल भेज देंगे.
प्यूबर्टी के बाद जब मेरे वक्ष उभरने लगे तो मुझे खुले वक्षों में पापा के साथ सोने में शर्म आने लगी. मुझे याद है एक बार एक शादी के लिए मैं पिता के पैतृक गांव गई हुई थी. वहां कुछ महिलाएं यह देखकर चौंक गई थीं कि 14 साल की उम्र में भी मैं ब्रा नहीं पहनती. मेरी एक आंटी मुझ पर चिल्लाने लगीं. उन्होंने मुझे मेरे पहले अंतर्वस्त्र दिए, जिसमें बनियान भी थी. मैं भी अपनी सभी चचेरी बहनों को कपड़े पहनकर सोते देखकर हैरान थी. घर पहुंचकर मैंने पापा को इस बारे में बताया तो उन्होंने बोर्डिंग स्कूल भेजने की धमकी देकर चुप करा दिया.
बचपन में मुझे माइक्रोसॉफ्ट पेंट पर काम करने का बहुत शौक था. 12 साल की उम्र में पापा ने मुझे कंप्यूटर का पासवर्ड बता दिया. लेकिन साथ ही यह शर्त भी रखी कि मैं उनकी मौजूदगी में ही कंप्यूटर का इस्तेमाल करूं. जब मैं स्कर्ट या गाउन पहनती थी तो वह उसे झटके से उतारकर मुझे अपनी गोद में बैठा लेते थे. मुझे इससे नफरत थी. धीर-धीरे मुझे पेंटिंग से भी नफरत हो गई.
मुझे पता ही नहीं चला कि वह मेरा यौन उत्पीड़न कर रहे थे. मुझे हमेशा लगता रहा कि मेरे पापा जो कुछ कर रहे थे वह 'नॉर्मल' बात है.
मुझे घर पर रहने से चिढ़ हो गई. दरअसल मेरे सबसे अच्छे दिन तब आए जब घर में कोई शादी थी. घर में कई रिश्तेदार थे और मुझे ढेर सारे उपहार मिले. दो महीनों तक मैं अलग सोई. लेकिन जैसे ही वे लोग गए, मुझे फिर उनके साथ सोना पड़ा. मैंने कई बार पापा से कहा कि वह अपने कपड़े पहनकर सोएं, पर वह सीधे मना कर देते थे. यहां तक कि मेरे मासिक धर्म के दौरान भी मुझे कोई अतिरिक्त कपड़ा पहनने की इजाजत नहीं थी. मैं अपने दोस्तों के साथ जाकर अंतर्वस्त्र खरीदती थी लेकिन एक बार मेरे सारे पैसे खत्म हो गए. पापा को पता चला तो उन्होंने मुझे नए अंतर्वस्त्र दिलाने का वादा किया. एक रात उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ अंतर्वस्त्र पहनूं ताकि वह मेरी 'फिटनेस' चेक कर सकें. उन्होंने मुझे छूना शुरू कर दिया था. उस रात मैंने विरोध किया. मैंने कहा कि मैं उनके साथ इस तरह अधनंगी होकर नहीं सोऊंगी. मैंने कह दिया कि मैं बोर्डिंग स्कूल जाने को तैयार हूं.
जब मैं दसवीं क्लास में थी, हमें एक स्कूल टुअर पर ले जाया गया. मैं राहत महसूस कर रही थी क्योंकि मैं घर से दूर थी. पापा ने मुझे इजाजत नहीं दी थी लेकिन मैं पैसे उधार लेकर टुअर पर गई. इसके बाद पापा ने स्कूल में बहुत हंगामा किया. वह पिए हुए थे. उन्होंने मेरे उत्पीड़न की कोशिश की. मैंने विरोध किया तो उन्होंने अपनी बेल्ट निकाल ली और मुझे पीटना शुरू कर दिया और अंतत: वह किया जो वह करना चाहते थे. मैं घायल थी. मेरे पेट का निचला हिस्सा दर्द से धमक रहा था.
मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. उन्होंने स्कूल में संदेश भिजवा दिया कि मैं अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाऊंगी. मैंने कुछ रिश्तेदारों से बात की और उन्हें वे घाव दिखाए जो बेल्ट से मेरी पीठ पर बने थे. सच तो यह है कि मुझे पता ही नहीं था कि यह सब मैं किसके साथ और किस तरह शेयर करूं. इसके बाद मुझे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया. वहां भी मैं किसी से नहीं खुल पाई. मैं हमेशा दर्दनाक रूप से डरपोक बनी रही. मैंने कभी महसूस ही नहीं किया कि मेरे अपने पिता मुझसे सेक्स करने की कोशिश कर रहे थे.
मेरे पिता का नाम स्टैनले जैसन अरविंद है.
12वीं क्लास तक मैं होस्टल में रही. मैं छुट्टियों में भी घर नहीं जाना चाहती थी. होस्टल मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा समय था, क्योंकि इस दौरान मेरे पिता एक बार भी मुझसे मिलने नहीं आए.
मेरे पिता होस्टल लैंडलाइन पर फोन करके मुझसे घर लौटने को कहते और फीस न देने की धमकी देते. एक बार मैंने कह दिया कि पहले मैं अपनी मां के रिश्तेदारों से यह डिस्कस करना चाहती हूं. उन्होंने फोन काट दिया. वह शायद डरते थे कि मैं उनकी पोल खोल दूंगी. कई चेतावनी भरी चिट्ठियों के बाद भी मेरी फीस भर दी जाती. पर मुझे कोई पॉकेट मनी नहीं मिलती थी. इस वजह से मैं किसी टुअर पर नहीं जा पाती थी. जब कोई रिश्तेदार मुझसे मिलने आता तो 200-300 रुपये दे जाता. वो पैसे सिर्फ सैनिटरी नैपकिन्स खरीदने में खर्च हो जाते थे.
इस दौरान मेरी सिर्फ एक करीबी दोस्त थी, सिरिशा वेंकटरमन. वह अकसर मुझे उधार दिया करती थी. 11वीं क्लास में मेरे पास सिर्फ दो सेट ब्रा और अंडरवियर थे, जिन्हें मैं एक-एक दिन के अंतराल पर बदला करती थी. पुराने होने की वजह से उनमें छेद हो गए थे. मैं छुट्टियों में घर न जाकर सिरी के घर चली जाती थी. वह भी एकाध बार अपने पापा के पास सो जाती थी, पर इस दौरान उसके साथ कुछ बुरा या गंदा नहीं होता था. उसके पिता बहुत अच्छे आदमी थे. हमेशा उसे हंसाते रहते, उसके साथ डांस करते. मुझे नहीं समझ आता था कि मेरे पिता ऐसे क्यों नहीं हैं. मुझे याद है एक बार मैंने पापा को चिट्ठी लिखकर पूछा था कि आपकी प्रॉब्लम क्या है...
12वीं क्लास के बाद मैंने अपनी छुट्टियां मां के रिश्तेदारों के घर बिताई. यह तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्से में और चेन्नई से दूर था. उन्हें मेरे पिता से कुछ दिक्कतें थी इसलिए वे उनसे बात नहीं करते थे और घर आना-जाना भी नहीं था. उन्होंने ही चेन्नई के एथिराज कॉलेज में सरकारी कोटे से दाखिला लेने में मेरी मदद की. मैं अपनी फीस नहीं भर सकती थी. मैं इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों में होस्ट/प्रमोटर की जॉब करने लगी. सिरी अकसर मेरे साथ होती. वह टॉम बॉय सरीखी थी, वह मुझे बॉडीगार्ड जैसा फील कराती थी.
मेरे पिता पक्के दुष्ट हैं. मेरे दिमाग ने कहा कि मुझे पुलिस में उनकी शिकायत करनी चाहिए. लेकिन मुझे डर था कि वह बाद में बाहर आ जाएंगे और मुझे टॉर्चर करेंगे. साथ ही मेरे पास उनके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं था. मेरी तरफ कोई नहीं था.
बाइबल में एक कहावत है कि बुराई से हमेशा दूर रहना चाहिए. मैं वही कर रही थी. कॉलेज एडमिशन के दौरान मैं अपने पिता से सिर्फ एक बार मिली, उसके बाद मैं उनसे मिलने से बचती रही. जब वह मेरे साथ यह सब कर रहे थे, मैं नहीं जानती थी कि इस हरकत के लिए मैं उन्हें जेल भिजवा सकती हूं. मैं अब भी उन्हें सजा दिलवाना चाहती हूं.
मैंने राय बिजनेस स्कूल से सिरी के साथ एमबीए किया. मुझे प्रोजेक्ट और असाइनमेंट पूरा करने के लिए और पैसे की जरूरत थी. तब मैं राजू से मिली. वह क्लासमेट था और सिरी का दोस्त था. मैं उसे अपना भाई मानती थी. इवेंट कंपनी में भी काम दिलवाकर उसने मेरी मदद की थी. मेरी सेकेंड सेमेस्टर की फीस भी उसी ने भर दी थी. राजू मेरे पास आता था और कहता था कि मैं उससे कुछ भी शेयर कर सकता हूं. एक दिन उसने पूछा कि मैं हर जगह सिरी को साथ क्यों ले जाती हूं. मैंने उसे बताया कि मुझे मर्दों से डर लगता है. उसने वजह पूछी. मैं चुप रही.
अगली बार उसने मुझे सब कुछ बताने के लिए मना लिया. तुम मेरी बहन जैसी हो, वह कहा करता था. जब मैंने उसे अपनी जिंदगी के घिनौने ब्योरे बताए तो उसने कहा कि सब कुछ ठीक है और मुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है. उसने कहा कि कभी मैं अकेला फील करूं तो उसे कभी भी कॉल कर सकती हूं. कि वह हमेशा मेरे लिए मौजूद रहेगा.
कुछ दिन बाद उसने बताया कि उसे एक दुल्हन की मेडेन सेरेमनी के लिए एमसी की जरूरत है. उसने कहा कि मैं सिरी को इस बारे में न बताऊं और इस दौरान वह मेरी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखेगा. जब वह मुझे लेने होस्टल आया तो वह थोड़ी पिए हुए था. मैं घबराई नहीं क्योंकि मैं उसे भाई मानती थी. उसने मुझे बैग दिया और वह ड्रेस पहनने को कहा जो वह इवेंट के लिए लाया था. यह एक शॉर्ट स्कर्ट थी. मैंने इसे पहनने से मना कर दिया क्योंकि मेरे पास स्टॉकिंग नहीं थे. उसने कहा, कोई बात नहीं.
जब हम क्लब पहुंचे, वहां भारी भीड़ थी. पार्टी शबाब पर थी. मैंने पूछा कि मुझे कब स्टेज पर जाना होगा. उसने कहा, 'दो घंटे में'. मैं यह सोचकर थोड़ा घबराई कि लौटते हुए काफी देर हो जाएगी. मैंने ड्रेस को लेकर भी अपनी असुविधा जाहिर कर दी. वह गुस्सा हो रहा था.
इसके बाद उसने मुझे 'वेलकम ड्रिंक' बताकर एक ड्रिंक दिया. यह स्वाद में अजीब नहीं था, मैं उसे पी गई. उसने मुझे एक और ड्रिंक पकड़ा दिया. मैंने जैसे ही एक घूंट लिया, पूरा क्लब घूमने लगा. मैंने राजू से कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है और वह मुझे घर छोड़ दे. मैं सीधे चल भी नहीं पा रही थी, इसलिए राजू के कुछ दोस्त भी हमारे साथ आए. मुझे इससे परेशानी नहीं थी, क्योंकि राजू मेरे साथ था. मैं आगे की सीट पर बैठी और फिर शायद सो गई. मुझे लगा जैसे मैं उड़ रही हूं. मेरे लिए अपनी आंखें खुली रखना मुश्किल था.
जब मैं होश में आई तो खुद को बीच पर खड़ी एक कार की बैकसीट पर पाया. राजू ने मुझे दो झन्नाटेदार थप्पड़ लगाए और गाली देते हुए चिल्लाया, 'तूने अपने पिता से सेक्स कर लिया, लेकिन मेरी ड्रेस पहनने से मना कर दिया. मैंने तेरी फीस दी है.' मैं 'सॉरी अन्ना' कहती हुई गिड़गिड़ाती रही. पर उसने मेरी जीन्स और टॉप उतारने शुरू कर दिए और अपने दोस्तों को 'ओरल तरीके से' खुश करने का दबाव बनाने लगा. उसने कहा कि वह सिर्फ तभी मुझे घर छोड़ेगा वरना बिना कपड़ों के ही बीच पर छोड़ जाएगा.
लेकिन ईश्वर उस वक्त मेरे साथ थे. जब वह मेरी जींस उतार रहा था तो जींस में रखे फोन से अपने आप सिरी का नंबर लग गया. उसका नंबर मेरी स्पीड डायल लिस्ट में होता था. उसने राजू की सारी बातें सुन लीं. तब तक राजू के दोस्त मेरे अंतर्वस्त्र उतार चुके थे और मुझे मजबूर करने की कोशिश कर रहे थे.
सिरी ने राजू को फोन करके धमकाया. शायद वह उसकी कॉल से डर गया. उसने अपने दोस्तों को पीछे हटाया, मुझे कपड़े लौटाए और मुझे सिरी की एक करीबी दोस्त के यहां छोड़कर चला गया.
मैं एक हफ्ते तक कॉलेज नहीं गई. मैं जा ही नहीं पाई. सिरी ने बहुत कोशिश की मुझे सामान्य करने की. यहां तक कि उसके पिता भी मुझसे मिलने आए. एक रात हम लोग उठे तो एक चौंकाने वाली खबर मिली कि राजू की कार का पॉन्डिचेरी के रास्ते पर जबरदस्त एक्सीडेंट हो गया है.
मुझे लगा जैसे ईश्वर ने उसे सजा दी है.
मैं लिफ्ट में मर्दों के साथ ट्रेवल करने में घबराती हूं. जब भी मैं टैक्सी में होती हूं तो किसी को भी फोन लगा लेती हूं ताकि ड्राइवर को लगे कि मैं किसी से बात कर रही हूं. अंधेरे में मैं पत्थर हो जाती हूं. अंधेरे में ही कहीं मुझमें यह बात घर कर गई थी कि मेरे पिता ने मेरा रेप किया है.
कॉलेज के बाद मुझे एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में काम मिल गया. मुझे अब भी मर्दों से दिक्कत है. मुझे याद है कॉलेज में जब भी बिजली जाती, मैं हर बार चिल्ला पड़ती थी. अब बिजली जाती है तो मैं पागलों की तरह अपना फोन खोजने लगती हूं. जब भी कोई पुरुष मेरे करीब आता है तो लगता है कि वह मुझे गलत तरीके से छूने वाला है. मैं जानबूझकर भीड़-भाड़ वाली जगहों, बसों, मॉल और ट्रेनों से बचती हूं. मेरे सफर करने का खर्च ज्यादा है क्योंकि मैं सिर्फ ऑटो और टैक्सी में चलती हूं. जब भी कभी 'कॉलेज सेक्स' पर बात होती है तो मैं चिढ़ जाती हूं. कितनी बार हुआ है जब मैंने अपने एक मामूली शक के चलते किसी पुरुष कलीग को रिक्रूट न किया हुआ. शायद मुझे अपने बीते हुए कल से पीछा छुड़ाने के लिए एक मनोवैज्ञानिक की जरूरत है.
पहले मैं बाहर जाने से डरती थी. मैं ठीक से सो नहीं पाती थी और नींद की गोलियां लेने लगी. यहां तक कि खुद को मार डालने की कोशिश भी की.
सिरी सच में एक फरिश्ता थी, जिसने मुझे बचाया. अब वह शादी कर चुकी है और अमेरिका में रहती है. हम मेल और स्काइप पर बात करते रहते हैं. मैं अपना बीता हुआ कल एक शख्स से साझा करके अंजाम भुगत चुकी हूं और इस पर इतनी शर्मसार हूं कि अब किसी और से शेयर करने के लिए तैयार नहीं. मैं हमेशा खुद से यही कहा करती हूं.
महिलाओं के लिए कानूनी नियमों वाला एक इंटरनेशनल कोर्ट होना चाहिए. रेप सिर्फ एक भारतीय अवधारणा नहीं है. जैसे नाटो और यूएन की अदालतें युद्ध अपराध पर सुनवाई करती हैं, महिला के खिलाफ अपराधों का क्या? उस अपराध का क्या जिसका सामना हम हर रोज करते हैं?
आप जानते हैं जब मैंने निर्भया के दोषी का बयान अखबारों में पढ़ा तो मैं उसे मार डालना चाहती थी. एक दिन मुकेश जरूर यह महसूस करेगा कि कोई भी महिला सॉफ्ट टारगेट हो सकती है. मांओं को अपने बेटों को सिखाना चाहिए कि औरतों की इज्जत कैसे की जानी चाहिए.
मैंने स्विमिंग इंस्ट्रक्टर की तलाश में गूगल किया, लेकिन नाकाम रही. फिर मैंने चार फीट के पूल में उतरकर खुद ही स्विमिंग सीखी. यह ज्यादा सुरक्षित था, ऐसा मुझे लगता है.
ड्रग एडिक्ट के लिए बहुत सारे पुनर्वास केंद्र हैं, पर रेप विक्टिम के लिए नहीं? यह कुछ ऐसा है कि- अगर आपके पास बेशकीमती रत्न हैं तो वे सुरक्षित नहीं. आप उसे अंदर-बाहर, हर जगह संभालकर रखें. उसे कंक्रीट बॉक्स में रखें, फिर भी उस पर खतरा मंडराता रहेगा. महिलाएं बेशकीमती हैं. उनका शरीर भी. उनकी आत्मा भी. उनकी पहचान हमेशा संकट में है.
एक पुराना तमिल गीत है,
'अगर चोर अपनी गलतियों का अनुभव नहीं करता और अपना किरदार नहीं बदलता, तो हम चोरी नहीं रोक सकते.'
यह पुरुषों पर भी लागू होता है.
हम अकेले यह युद्ध नहीं जीत सकते. युद्ध शुरू होने दीजिए.
जो मैंने आपसे शेयर किया वह रेपिस्टों की मानसिकता नहीं बदलेगा, पर शायद जागरूकता फैलाए.
तीन महीने पहले हैदराबाद में एक महिला से मैं बस में मिली, जिसने अपनी कहानी मुझसे शेयर की. वह शायद एक बीज था. जब मैंने आपके (लेखिका के) आर्टिकल पढ़े तो मुझे लगा कि चुप रहने से मेरा बीता हुआ कल मिट नहीं जाएगा. न ही भविष्य संवर जाएगा. यौन उत्पीड़न किसी महिला की जिंदगी का आखिरी अंजाम नहीं है. यह उसके भीतर के एक छिपे हुए दैत्य को जगाता है, उसे मजबूत, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाता है, ताकि वह अनिश्चित कल का सामना करने के लिए तैयार हो सके. खुद में यकीन रखो, गिरने के बारे में कभी मत सोचो.
(पीड़िता के अनुरोध पर सभी नाम ज्यों के त्यों रखे गए हैं. )