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अयोध्या: 15 दिन के अंदर सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक, 5 एकड़ जमीन पर होगा फैसला

इस बैठक में पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर निर्णय लिया जाएगा. गौरतलब है कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया उसमें विवादित स्थान रामलला विराजमान को दिया गया, जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन देने का निर्णय किया गया.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बुलाई बैठक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बुलाई बैठक

  • सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाया
  • सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसले के बाद बैठक बुलाई
  • 15 दिन में बैठक कर 5 एकड़ ज़मीन पर फैसला संभव

अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पक्षकारों ने इसपर मंथन करना शुरू कर दिया है. मुस्लिम पक्ष की ओर से सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफ़र फ़ारूखी ने कहा है कि जल्द ही बोर्ड की बैठक बुलाई जाएगी, जो 15 दिन के अंदर ही होगी.

उनके अनुसार, इस बैठक में पांच एकड़ जमीन लेने के मामले पर निर्णय लिया जाएगा. गौरतलब है कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया उसमें विवादित स्थान रामलला विराजमान को दिया गया, जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ ज़मीन देने का निर्णय किया गया.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया था.

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अयोध्या विवाद के बाद होने वाली इस पहली बैठक में सरकार के साथ मुस्लिमों के दूसरे हितों को लेकर भी चर्चा हो सकती है. सुन्नी वक्फ बोर्ड अपने पहले के समझौते वाले मसौदे पर भी चर्चा करेगा, साथ ही मुस्लिम पक्ष के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा, इबादत के अधिकार पर बात की जाएगी.

आपको बता दें कि बरसों से चले आ रहे इस विवाद पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. जिसके तहत मुस्लिम पक्ष विवादित स्थान पर अपना हक साबित करने में नाकाम रहा है, यही कारण है कि ज़मीन रामलला विराजमान को दी गई.

शनिवार को जब फैसला आया तब ही सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कहा गया था कि वह इस मामले में कोई पुनर्विचार याचिका नहीं डालेंगे. फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफ़र फ़ारुकी ने बयान दिया था कि हमने पहले ही कहा था कि सर्वोच्च अदालत का जो फैसला आएगा, उसे दिल से माना जाएगा. इसी वजह से इसमें कोई दोबारा याचिका नहीं डाली जाएगी.

हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पक्ष के ज़फरयाब जिलानी ने कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन वह सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं.

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