रायपुर के डीआरएम दफ्तर में पदस्थ जनरल मैनेजर एसईसीआर की विदाई पार्टी में गाना ना गाना सीनियर क्लर्क अंजलि तिवारी को महंगा पड़ गया. गाना गाने से इनकार करने पर उन्हें चार्जशीट थमाकर उनका तबादला भी कर दिया गया. इस कार्यवाही के पीछे रेलवे प्रशासन की दलील थी कि महिला क्लर्क की नियुक्ति कल्चरल कोटे से हुई है, लिहाजा विभागीय कार्यकलापों के दौरान उन्हें अपने दायित्वों का निर्वाहन करना चाहिए था.
हालांकि बाद में विभाग की ओर से महिला कर्मचारी दी चार्जशीट आखिरकार वापस ले ली गई गया. मामला 16 जनवरी को रायपुर स्थित रेलवे कॉलोनी के ऑफिसर्स मेस का है जहां बिलासपुर रेलवे जोन के जीएम सत्येंद्र कुमार की फेयरवेल पार्टी आयोजित की गई थी. पार्टी में अंजलि तिवारी ने गाना गाने से इंकार कर दिया था और उसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी.
महिला क्लर्क का चयन कल्चरल कोटे से रायपुर के रेल डिवीजन में हुआ था. रेलवे अफसरों ने क्लर्क के गाना गाने से मना करने को अनुशासनहीनता बताकर उनके खिलाफ चाजर्शीट पेश कर उनका ट्रांसफर भी कर दिया. इस चार्जशीट पर लिखा गया था की फेयरवेल पार्टी में जीएम के साथ गाना गाने से इंकार करना क्लर्क का अव्यावहारिक बर्ताव था इसलिए उन पर अनुशासनहीनता की यह कार्रवाई की गई है.
जिस पार्टी में कल्चर कोटे से भर्ती हुई महिला पर गाना ना गाने के आरोप लगे और उसे चार्जशीट जारी किया गया था. अब वही कार्रवाई रायपुर रेल मंड़ल के अधिकारियों के लिए गले का फांस बन गई है. अधिकारियो के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है की यह पार्टी आधिकारिक थी या निजी. क्योंकि अगर यह पार्टी आधिकारिक थी तो इसमें पैसे की मद से खर्चे किए गए और क्या रेलवे के नियमों में ऐसी किसी पार्टी में पैसे ख़र्च करने का प्रवधान हैं. साथ ही अगर ये पार्टी निजी थी तो रेलवे के आला अधिकारियो ने किस नियम के तहत इस पार्टी में सभी अधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई थी.
फिलहाल पीड़ित महिला क्लर्क अंजलि ने जब अपनी शिकायत रेल मंत्री सुरेश प्रभु को भेजी तब डीआरएम दफ्तर में तैनात अफसरों के माथे पर बल पड़ गया और आनन- फानन में डीआरएम ने इस महिला क्लर्क की चार्जशीट और तबादला निरस्त कर दिया है.