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राहुल बोले- BJP और PM ने सिखाया शिवभक्त और हिंदू होने का मतलब

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हाल के दिनों में मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात के दौरान यह इल्जाम लगा कि उन्होने कहा है कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से इसे लेकर सफाई दी जा चुकी है. लेकिन राहुल गांधी ने इस आरोप का जवाब सदन के पटल पर देना ही मुनासिब समझा.

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कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल गांधी

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष के कई रंग देखने को मिले. कभी राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर दिखे तो कभी पीएम को स्वयं और कांग्रेस को बदलने के लिए धन्यवाद देते हुए दिखे. राहुल गांधी का यह अलग अंदाज आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की रणनीतिक तैयारियों की झलक भी दे गया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हाल के दिनों में मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात के दौरान यह इल्जाम लगा कि उन्होने कहा है कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है. हालांकि कांग्रेस की तरफ से इसे लेकर सफाई दी जा चुकी है. लेकिन राहुल गांधी ने इस आरोप का जवाब सदन के पटल पर देना ही मुनासिब समझा.

राहुल गांधी के भाषण के दौरान जब सदन में 10 मिनट के स्थगन के बाद दोबारा बहस शुरू हुई तब राहुल गांधी ने ट्रेजरी बेंच की तरफ इशारा करते हुए कहा कि 'आप लोग सोच रहे होंगे कि मेरे दिल मे पीएम के खिलाफ गुस्सा, क्रोध और नफरत है. लेकिन मैं कहता हूं कि मैं पीएम, बीजेपी, आरएसएस का अभारी हूं कि इन्होंने मुझे कांग्रेस का मतलब सिखाया. इसके लिए धन्यवाद कि आपने मुझे धर्म, शिव जी और हिंदू होने का मतलब समझाया.'

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दरअसल 2014 चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस द्वारा गठित एंटनी कमेटी की रिपोर्ट में जो सबसे महत्तवपूर्ण तथ्य सामने आया वो था कांग्रेस को लोग मुस्लिमों की पार्टी के तौर पर जानने लगे है. एंटनी कमेटी की इस रिपोर्ट के बाद अब तक धर्म को निजी विषय बताने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी धर्म को लेकर प्रतिस्पर्धी राजनीति करते हुए दिखे.

बता दें कि राहुल गांधी ने केदार नाथ की पैदल यात्रा कर बाबा केदार के दर्शन करने के बाद त्रिपुंड धारण कर मंदिर से निकलते हुए कहा था कि शिव के दर्शन कर उन्हें जबरदस्त शक्ति मिली है. गुजरात चुनावों के दौरान भी राहुल गांधी ने सोमनाथ के दर्शन किए  तिलक, त्रिपुंड और जनेऊ सरीखे हिंदू प्रतीकों के साथ उनकी तस्वीरें प्रसारित की गईं. कर्नाटक चुनावों के दौरान भी राहुल विभिन्न मठों और मंदिरों का चक्कर लगाते हुए दिखे. राहुल गांधी से जब भी इस बारे में पूछा गया कि वे अचानक मंदिरों और मठों का दर्शन क्यों कर रहे हैं तब उन्होंने जवाब दिया कि वह ऐसा पहले भी करते आए हैं. उन्हें यदि किसी धार्मिक स्थल पर बुलाया जाएगा वे वहां तब तक जाते रहेंगे जब तक उनके वहां जाने से समाज का विभाजन न होता हो.

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दरअसल धर्म को अपने वस्त्रों पर धारण करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेताओं का पुराना शगल रहा है. एक धर्मनिरपेक्ष दल होने का दावा करने वाली कांग्रेस इस तरह के दिखावे से बचती रही है. जिसकी वजह से धर्मभीरू हिंदू वोट कांग्रेस की तरफ से खिसकता गया और बीजेपी से जुड़ गया.

अब कांग्रेस की रणनीति इस वोट बैंक को एक बार फिर अपने खेमे में करने की है. वहीं कांग्रेस की छवि बीजेपी के तथाकथित धर्मोन्माद से इतर एक समावेशी हिंदू पार्टी बनाने की है.

राहुल गांधी ने लोकसभा मे बीजेपी तरफ इशारा करते हुए यह भी कहा है कि 'आपके (ट्रेजरी बेंच) मन में मेरे लिए गुस्सा है, आपके लिए मैं पप्पू हो सकता हूं, अलग-अलग गाली दे सकते हो. लेकिन मेरे मन में आपके लिए नफरत नहीं है'. मैं आपके खिलाफ इतना सा भी क्रोध और गुस्सा नहीं रखूंगा. इसका कारण है कि मैं कांग्रेस हूं. मैं नफरत की भावना को निकालूंगा. एक-एक करके मैं सबके अंदर से गुस्सा निकालूंगा. सबको कांग्रेस में शामिल करूंगा'.

राहुल गांधी जब कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने थे तब अपने भाषण के दौरान उन्होने कहा था कि उनकी मां (सोनिया गांधी) ने उनसे कहा है कि सत्ता जहर है. तो क्या उपाध्यक्ष से कांग्रेस अध्यक्ष बने राहुल गांधी नीलकंठ शिव की तरह नफरत का यह जहर आकंठ करने को तैयार हैं? 

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