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गुलशन कुमार हत्याकांड में कयूम बरी

कैसेट कंपनी टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या में कथित तौर पर भूमिका को लेकर दुबई से भारत लाए जाने के तीन साल बाद यहां की एक सत्र अदालत ने बुधवार को माफिया सरगना अबु सलेम के करीबी सहयोगी अब्दुल कयूम शेख को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

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कैसेट कंपनी टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या में कथित तौर पर भूमिका को लेकर दुबई से भारत लाए जाने के तीन साल बाद यहां की एक सत्र अदालत ने बुधवार को माफिया सरगना अबु सलेम के करीबी सहयोगी अब्दुल कयूम शेख को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

कयूम के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई अप्रैल में शुरू हुई. अभियोजन पक्ष ने उसके खिलाफ नौ गवाहों से जिरह की. सिवरी की सत्र अदालत ने कयूम को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष इस मामले में आरोपों को साबित करने में विफल रहा. कुमार की उपनगरीय अंधेरी इलाके में एक मंदिर के बाहर तीन लोगों ने 12 अगस्त 1997 को हत्या कर दी थी.

अभियोजन पक्ष के अनुसार कयूम उन षड्यंत्रकारियों में से एक था जिसने दुबई में हुई बैठक में हिस्सा लिया था. वहीं पर कुमार की हत्या की साजिश रची गई थी. अभियोजन पक्ष का कहना था कि सलेम और फरार आरोपी तथा संगीतकार नदीम सैफी भी उस बैठक में उपस्थित थे. यह बैठक फरार माफिया सरगना दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के दफ्तर में हुई थी.

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कयूम को साल 2007 में दुबई से भारत लाया गया था. उसके खिलाफ साजिश रचने और हत्या करने का मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने आरोप लगाया था कि कुमार की व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता की वजह से हत्या कर दी गई थी और एक अन्य कैसेट कंपनी के मालिक रमेश तोरानी ने कथित तौर पर कुमार की हत्या के लिए सलेम को 25 लाख रुपये की सुपारी दी थी.

हालांकि, पुलिस साजिश वाले पहलू को साबित नहीं कर सकी और तोरानी तथा 17 अन्य आरोपियों को 2002 में बरी कर दिया गया. कुमार की हत्या के वक्त नदीम लंदन में था और उसके बाद से भारत नहीं लौटा. भारत सरकार ने नदीम के प्रत्यर्पण की मांग की थी लेकिन ब्रिटेन की अदालत में मामला हार गई. सलेम को इस हत्याकांड मामले में अब भी फरार आरोपी दिखाया गया है क्योंकि पुर्तगाल के साथ हुई प्रत्यर्पण संधि में इस बात का उल्लेख नहीं है कि उसके खिलाफ इस मामले में मुकदमा चलाया जाएगा.

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