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किडनी की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का इलाज करता है ये पौधा, र‍िसर्च में खुलासा

आयुर्वेद में एक ऐसे पौधे की क्षमता पता चली है, जिससे किडनी फेल्योर व डायलिसि‌स रोगी को जीवन दिया जा सकता है. संक्रमण के अलावा किडनी प्रत्यारोपण की नौबत से भी बचाया जा सकता है.  क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ्य करने के अलावा हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाती है. बता दें क‍ि 14 मार्च  को व‍िश्व क‍िडनी द‍िवस मनाया जाएगा.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

14 मार्च को दुनिया भर में विश्व किडनी दिवस मनाया जाएगा. आयुर्वेद में इन्हीं बीमारियों से ग्रस्त लाखों रोगियों को संजीवनी मिली है. आयुर्वेद में एक ऐसे पौधे की क्षमता पता चली है, जिससे किडनी फेल्योर व डायलिसि‌स रोगी को जीवन दिया जा सकता है. संक्रमण के अलावा किडनी प्रत्यारोपण की नौबत से भी बचाया जा सकता है. पुनर्नवा पौधे पर रिसर्च से तैयार नीरी केएफ्टी दवा के सफल परिणाम भी दिख रहे हैं.

एम्स के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एसके अग्रवाल का कहना है कि हर दिन 200 किडनी रोगी ओपीडी पहुंच रहे हैं. इनमें 70 फीसदी किडनी फेल या डायलिसिस के होते हैं. जाहिर है लोग देरी से किडनी का उपचार कराने पहुंच रहे हैं. बनारस हिंदू विवि के प्रोफेसर डॉ. केएन द्विवेदी का कहना है कि समय पर किडनी रोग की पहचान से इसे बचाया जा सकता है.

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कुछ समय पहले बीएचयू में हुए अध्ययन में नीरी केएफ्टी कारगार साबित हुई है. इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ फॉर्मास्युटिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध के अनुसार पुनर्नवा के साथ गोखरु, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, कमल ककड़ी बूटियों से बनी नीरी केएफ्टी किडनी में क्रिएटिनिन, यूरिया व प्रोटीन को नियंत्रित करती है. ये क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ्य करने के अलावा हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाती है.

एमिल फॉर्मास्युटिकल के संचित शर्मा का कहना है कि इस ट्रीटमेंट को जापान, कोरिया और अमेरिका भी अपना रहे हैं. मधुमेह व सफेद दाग की बीजीआर-34 व ल्यूकोस्किन को भी सराहा जा रहा है.

आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,  पीएम मोदी ने 12,500 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की मंजूरी दी है. वर्ष 2021 तक यहां किडनी की न सिर्फ जांच, बल्कि नीरी केएफ्टी जैसी दवाओं से उपचार भी दिया जाएगा.

गंगाराम अस्पताल के डॉ. मनीष मलिक के मुताबिक आयुर्वेद को स्वीकार करना चाहिए. जिनकी किडनी पूरी तरह से खराब नहीं हुई है, उनमें नीरी केएफ्टी के परिणाम अच्छे आ रहे हैं. एम्स के डॉ. अग्रवाल का कहना है कि मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सालाना 6 हजार किडनी प्रत्यारोपण हो रहे हैं इसलिए लोगों में जागरुकता बेहद जरूरी है.

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