भारत में आतंक फैलाने के लिए आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की शरण मिलती है, ये बात पहले ही कई बार साबित हो चुकी है. 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की तैयारी एक महीने पहले से ही जारी थी, ISI ने जैश-ए-मोहम्मद, तालिबानी आतंकवादियों, हक्कानी नेटवर्क की साझा बैठक करवाई थी जिसमें पुलवामा हमले की साजिश रची गई थी.
खुफिया एजेंसियों का दावा है कि पुलवामा हमले से एक महीने पहले मसूद अजहर ने तालिबानी और हक्कानी नेटवर्क के आकाओं के साथ बैठक की थी. इसी हमले में तय हुआ था कि भारत में एक आत्मघाती हमला किया जाएगा.
इस बैठक को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने मैनेज करवाया था, बैठक बहावलपुर में हुई थी. बता दें कि बहावलपुर में ही जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का अड्डा है, जहां से वो अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है.
सूत्रों ने ये भी जानकारी दी है कि बालाकोट के जिस आतंकी कैंप को भारत ने नष्ट किया है. उसमें में भी तालिबानी और हक्कानी नेटवर्क के आतंकी JeM के आतंकियों के साथ ट्रेनिंग ले रहे थे.
दावे के अनुसार 2001 के पहले JeM और तालिबानी आतंकी एक साथ अफगानिस्तान के तालिबान कैंप में ट्रेनिंग लेते थे. 2001 में तालिबान पर अमेरिका ने हमला किया, जिसके बाद से ही बालाकोट में इनकी ट्रेनिंग शुरू हो गई.
बताया जा रहा है कि बालाकोट कैंप में जो आतंकी थे, उनमें से आधे को जेहाद के लिए कश्मीर भेजता था और बाकियों को अफगानिस्तान में भेजा जाता था.
गौरतलब है कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले में भारत के 40 जवान शहीद हो गए थे, जिसका बदला भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कैंपों पर एयरस्ट्राइक कर किया था.
वायुसेना की इस एयरस्ट्राइक में जैश के ठिकानों का काफी नुकसान पहुंचा था, जिसके बाद से ही आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं. और लगातार कई तरह की गीदड़भभकी कर रहे हैं.