भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को भविष्य में समलैंगिकों के खिलाफ दुरूपयोग किये जाने की आशंका व्यक्त करते हुए विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि कानून को अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करने का जरिया नहीं बनाया जाना चाहिए.
मोइली ने इस बात को स्वीकार किया कि समलैंगिकता निरोधक कानून का पूर्व में दुरूपयोग किया गया है और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के सुव्यवस्थित शोध, दस्तावेत और दलील के आधार पर तैयार निर्णय की सराहना की जिसमें समलैंगिकता को अपराध नहीं बताया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर इसका पूर्व में दुरूपयोग किया गया है, तो इसका भविष्य में भी दुरूपयोग किया जा सकता है. किसी भी कानून को प्रताड़ित करने और अधिकारियों के हाथों दुरूपयोग का जरिया नहीं बनाया जाना चाहिए. मोइली ने कहा कि यह एक ऐसा कानून है जिसका दुरूपयोग हुआ है और इसे प्रताड़ित करने के जरिये के रूप में इस्तेमाल किये जाने का चलन देख गया है.