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टाइम पास थी पीएम की प्रेस कॉन्फ्रेंस, कुछ हाथ नहीं आया: संजय राउत

अपने लगभग 10 साल के शासनकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तीसरी बार पत्रकारों को संबोधित किया. इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में पीएम ने नरेंद्र मोदी, पाकिस्‍तान, पीएम उम्‍मीदवार समेत तमाम मुद्दों पर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए. जानें प्रधानमंत्री की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस पर राजनेताओं की प्रतिक्रिया.

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संजय राउत
संजय राउत

अपने लगभग 10 साल के शासनकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तीसरी बार पत्रकारों को संबोधित किया. इस प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में पीएम ने नरेंद्र मोदी, पाकिस्‍तान, पीएम उम्‍मीदवार समेत तमाम मुद्दों पर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए. जानें प्रधानमंत्री की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस पर राजनेताओं की प्रतिक्रिया...

संजय राउत, शिवसेना प्रवक्ता
अहमदाबाद के रास्तों पर कत्ले आम की बात पीएम ने की है. अगर मोदी पीएम बने तो देश बर्बाद होगा, तो आपके कार्यकाल में देश कौन सा आबाज हुआ है. कत्ल की बात करें तो आपके ही कार्यकाल में अभी मुजफअपर नगर में क्या हुआ। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के रास्तों में क्या हुआ। उश बारे में अब तक आपने जवाब नहीं दिया है. उम्मीद बड़ी थी, लोगों को पीएम की प्रेस कॉनफ्रें से. लेकिन खोदा पहाड़ निकला चुहिया. ये टाइम पास प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, कुछ हाथ नहीं आया है. पीएम को न सरकार में काम बचा है, न कांग्रेस में, तो देश का मनोरंजन के लिए ये काम हुआ है.

सीताराम येचुरी क्या बोले
कांग्रेस फिर से सरकार बनाने की हैसियत में नहीं है. इसीलिए हमने एक राजनीतिक पुकार लगाई है ताकि मौजूदा आर्थिक पॉलिसी के बजाय वैकल्पिक पॉलिसी सामने आए. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा एक तीसरे मोर्चा का मौका बने. सरकार के दो सत्ता केंद्र नहीं थे, हमेशा गांधी परिवार में ही सत्ता रही. पीएम और अध्यक्ष प्रायः अलग अलग ही रहे.

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शरद यादव, जेडीयू
एक तरह से, उनके बोलने से कुछ नहीं होता, लोग महसूस नहीं करते. जब लोग महसूस करते हैं. लोग नीयत पहचानते हैं. इसलिए जो हालत मनमोहन के कार्यकाल में हुई है, देश बहुत पीछे गया है. जो आरजनीति आज हो रही है, वह भी देश को पीछे ले जाएगी. आर्थिक विषमता और सामाजिक विषमता दोनों को मिलाकर नहीं चलेगा, काम नहं कर पाएगा. इस पर उनकी कोईऊ राय नहीं आई. गरीब तबके पर कुछ नहीं बोल पाए वह. गरीबों की जिंदगी दिल्ली में कुछ ऐलान कर नहीं बदल सकते. उनकी बात देश की जनता से मेल नहीं खाती है. मैं मानता हूं कि नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी से देश नहीं बनेगा.

राजनाथ सिंह, अध्यक्ष, बीजेपी
मैं उनसे कहना चाहता हूं कि जिस नरेंद्र मोदी ने अपने शासनकाल में गुजरात स्टेट को डिवेलपमेंट के मामले में एक मॉडल स्टेट के रूप में खड़ा कर दिया है. उसके लिए यह कहना कि उनके पीएम बनने से देश बर्बाद हो जाएगा. यह हास्यास्पद बयान है. जो उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के शासनकाल में दंगे हुए, उसको पीएम नहीं होना चाहिए. 2002 में जो कुछ हुआ दुर्भाग्यपूर्ण हुआ, नहीं होना चाहिए था. मगर एसआईटी ने जब क्लीनचिट दे दी है. उसके बाद भी इल्जाम लगाना. मैं इसकी निंदा करता हूं.

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उन्होंने कहा कि सभी का विकास हुआ. ये गलत बयानी है. ह्यूमन डिवेलपमेंट इंडेक्स से लेकर विकास के दूसरे दावे झूठे हैं. आर्थिक भेदभाव और विषमता तेजी से बढ़ी हैं. उनकी सरकार के दौरान दो सत्ता केंद्र रहे हैं. इससे कभी भी अच्छे कामों की अपेक्षा की ही नहीं जा सकती थी. सरकार के पास निर्णय लेने की आजादी नहीं थी. आजाद भारत के इतिहास में किसी भी सरकार पर भ्रष्टाचार के इतने आरोप नहीं लगे, जितने उनकी सरकार पर.

अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली
इस देश के लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि राहुल, मोदी या मनमोहन में से कौन प्रधानमंत्री बनते हैं. इस देश की जनता महंगाई से पिसी है. सिलेंडर के दाम 220 रुपये बढ़ा दिए. उन चीजों की बात ही नहीं होती. सारे दिन यही बात होती है कि ये प्रधानमंत्री बन जाए, वो प्रधानमंत्री बन जाए. कोई भी प्रधानमंत्री बन जाए, क्या फर्क पड़ता है इससे.

फारुख अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्‍फ्रेंस
फारुख अब्दुल्ला ने कहा, 'हमें अफसोस है कि प्रधानमंत्री ने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया. पीएम ने किसी दबाव में ये फैसला नहीं लिया है बल्कि आराम करना चाहते हैं इसलिए ऐसा किया. राहुल गांधी के पिता भी देश के प्रधानमंत्री रहे और बहुत अच्छा काम किया. मेच्योरिटी समय के साथ आती है और उनमें भी आ जाएगी. नरेंद्र मोदी का देश का प्रधानमंत्री बनना सच में विनाशकारी होगा. बीजेपी को मोदी से बेहतर पीएम पद का उम्मीदवार चुनना चाहिए था.'

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