केंद्र में नई सरकार बनने के बाद पेश होने वाले बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है. मोदी ने कहा है कि देश की सेहत के लिए कुछ कड़े फैसले लेने होंगे. इन फैसलों से लोगों के बीच नाराजगी होगी लेकिन ये फैसले जरूरी हैं. उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि इस तरह के फैसले कुछ वर्गों को अच्छे नहीं लगें पर ये फैसले शुद्ध रूप से देश के हित में लिए जाएंगे.'
गोवा में बीजेपी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रहित में सख्त फैसले करने का वक्त आ गया है. उन्होंने कहा, 'अगले एक दो वर्षों में कड़े फैसले और कड़े उपायों की जरुरत है ताकि देश में वित्तीय अनुशासन आ सके. इससे देश का विश्वास बहाल और मजबूत होगा. देश की वित्तीय हालत दुरुस्त करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है. वित्तीय अनुशासन के लिए उठाए गए कदम हो सकता है, कुछ लोगों को अच्छे नहीं लगें पर वे परिणामों से संतुष्ट होंगे. हम अगले एक दो साल में देश की वित्तीय स्थिति को पटरी पर ले आएंगे.'
मनमोहन सरकार ने खाली किया खजाना
करीब तीन सप्ताह पहले सत्ता संभालने के बाद यह पहला अवसर है जब मोदी ने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के काम काज पर तीखे हमले किए. प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमने देश की बागडोर ऐसे समय में संभाली है जबकि पिछली सरकार ने कुछ नहीं छोड़ा है. वे सब खाली करके गए हैं. देश का वित्तीय स्वास्थ्य रसातल में चला गया है.' यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि जाने वाली सरकार ने देश को खोखला भी किया और खाली भी. अर्थव्यव्स्था बीमार है तो कुछ कड़वी दवा तो पिलानी है. उन्होंने कहा, 'बीमारु अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए कड़वी दवा तो पिलानी होगी.'
मोदी ने यह भी कहा कि अल्प समय में उनकी सरकार के कुछ फैसले हो सकता सबको अच्छे न लगें. उन्होंने कहा, 'मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि मेरे फैसलों से उस असीम प्यार पर चोट लग सकती है जो देश ने मुझे दिया है. लेकिन मेरे देशवासी ऐसा समझेंगे कि इन फैसलों से वित्तीय हालात दुरुस्त होंगी और उसके बाद मैं उस प्यार को फिर हासिल कर लूंगा. पीएम ने आगाह किया कि यदि कठोर कदम नहीं उठाए गए तो वित्तीय स्थिति नहीं सुधरेगी. ऐसे में वह हर कदम उठाये जाने चाहिए जिसकी हमें जरुरत है.
मोदी के गुणगान से नहीं होगा देश का भला
मोदी ने कहा, 'हम मोदी और बीजेपी की गुणगान करके देश का भला नहीं कर सकते. इसकी कोई गारंटी नहीं है कि मोदी का गुणगान करने से हालत सुधरेगी. हमें वित्तीय हालात सुधारने के लिए कड़े फैसले करने की जरुरत है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का दिल्ली से बाहर ये पहला भाषण था. मोदी उस गोवा के बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच थे जिस गोवा ने उन्हें पहले बीजेपी की चुनाव समिति का चेयरमैन बनाया था, फिर पीएम उम्मीदवार घोषित किया था.
बजट से पहले प्रधानमंत्री मोदी के ऐसे कड़े बयान का क्या मतलब है? आखिर क्या कड़े फैसले लेने वाली है मोदी सरकार? मोदी सरकार अच्छे दिन लाने वाली है या कड़वे दिन?