पीएम मोदी ने कहा है कि मुसलमानों को वोट की मंडी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. उनके साथ नफरत नहीं, अपनों जैसा व्यवहार करने की जरूरत है. मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय की शताब्दी समारोह के मौके पर केरल के कोझिकोड में बीजेपी राष्ट्रीय परिषद को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय के कथन का हवाला देते हुए कहा कि मुसलमानों को पुरस्कृत और तिरस्कृत नहीं किया जाना चाहिए.
पीएम का यह बयान इस मायने में अहम है कि बीजेपी राष्ट्रीय परिषद की बैठक उरी हमले पर पाकिस्तान को जवाब देने पर ही केंद्रित हो गई थी, अन्य मुद्दे पीछे छूट गए थे. मोदी ने मुसलमानों और गरीबों की बात कर कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को साधा है.
मोदी ने इस बयान के जरिये मुसलमानों के प्रति बीजेपी की सोच स्पष्ट की और विपक्षी दलों पर निशाना साधा. लेकिन क्या पीएम मोदी और उनकी पार्टी वाकई मुसलमानों की बेहतरी को लेकर संजीदा है. या फिर ये 2002 के गुजरात दंगों के बाद बनी अपनी मुस्लिम विरोधी छवि से निकलने की कोशिश कर रहे हैं. क्योंकि दलितों पर अत्याचार की कोई भी घटना होती है तो पीएम मोदी की तरफ से तत्काल प्रतिक्रिया आती है. चाहे वो रोहित वेमुला का मामला हो या ऊना में दलितों पर अत्याचार का, पीएम मोदी ने हर बार कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की.
दादरी कांड पर कई दिनों तक रहे चुप
करीब साल भर पहले दिल्ली से सटे दादरी के पास एक गांव में उन्मादी भीड़ ने 52 साल के एक शख्स मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. केवल इस संदेह पर कि अखलाक के घर में गोमांस रखा हुआ है. इस घटना की चहुंओर निंदा हुई तो इसे लेकर खूब सियासत भी हुई. लेकिन कई दिनों तक पीएम मोदी खामोश रहे. यहां तक कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस घटना पर चिंता जता दी.
उस वक्त बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहा था. आखिरकार पीएम मोदी ने अखलाक मसले पर चुप्पी तोड़ी और सांप्रदायिक सद्भाव का जिक्र किया लेकिन उनके बयान में दादरी या तथाकथित गौरक्षकों का तनिक भी जिक्र नहीं हुआ.
...तब राज्य सरकारों पर मढ़ते रहे जिम्मेदारी
हालांकि यह घटना अकेली नहीं है, ऐसी कई घटनाएं हैं जब मुसलमानों को निशाना बनाया गया. और पीएम मोदी खामोश रहे. बीते 30 जुलाई को यूपी के मुजफ्फरनगर में गोकशी के शक में लोगों की भीड़ ने एक मुस्लिम परिवार के घर पर हमला बोल दिया. 26 जुलाई को मध्य प्रदेश के एक रेलवे स्टेशन पर दो महिलाओं को गोमांस रखने के संदेह में पिटाई कर दी गई. 18 मार्च को झारखंड में मवेशियों का व्यापार करने वाले 2 लोगों की हत्या कर दी गई और शवों को पेड़ पर लटका दिया गया.
हिमाचल प्रदेश में पिछले साल अक्टूबर में पशु तस्करी के संदेह में एक मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इस तरह साल भर के भीतर गोरक्षा के नाम पर कम से कम 4 मुसलमानों की हत्या कर दी गई और मोदी राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराते रहे लेकिन दलितों पर उत्पीड़न के बाद मचे बवाल को लेकर उन्होंने राज्य सरकारों से गोरक्षकों की हरकतों पर लगाम लगाने को कहा.
बंगाल चुनाव में पेश की थी मिसाल
हालांकि, बीते मार्च में बंगाल के खड़गपुर में एक चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी ने धार्मिक सद्भाव की मिसाल पेश की थी. मोदी के भाषण के दौरान पास के किसी मस्जिद से अजान सुनाई दी. अजान सुनते ही मोदी कुछ पल के लिए खामोश हो गए और अजान खत्म होने के बाद भाषण शुरू किया.
उस वक्त मोदी ने कहा था, 'हमारे चलते किसी की पूजा, प्रार्थना में कोई तकलीफ ना हो, इसलिए मैंने कुछ पल विराम दिया.'