बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का कद लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा है, ऐसे में उन्हें कोई भी हल्के में नहीं ले सकता. देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मोदी को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और उन्होंने खुद ही कहा है कि इसमें लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है.
मनमोहन ने एक इवेंट में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘राजनीतिक पार्टी होने के नाते हम शासन की बागडोर अस्थिर करने की विपक्ष की शक्ति को कम कर के नहीं आंक सकते.’ प्रधानमंत्री ने यह बात तब कही जब उनसे उनके कैबिनेट सहयोगियों के विभिन्न मतों के बारे में पूछा गया जिनमें से एक राय यह थी कि मोदी की तरफ से पेश चुनौती को गंभीरता से लिया जाना चाहिए जबकि दूसरी राय ने विपक्ष को खारिज कर दिया था.
'विपक्षी को गंभीरता से लेता हूं'
मनमोहन ने कहा, ‘मैं उन लोगों में से हूं जो अपने विरोधियों को बहुत गंभीरता से लेते हैं. ढिलाई के लिए कोई गुंजाइश नहीं है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी कांग्रेस पार्टी आत्मविश्वास की भावना के साथ चुनाव में जा रही है. उन्होंने कहा, ‘विधानसभा चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, उससे भ्रमित नहीं होना चाहिए.’
वोट बटोरने का शिगुफा नहीं है सांप्रदायिक हिंसा बिल
मनमोहन ने इस सवाल को खारिज कर दिया जिसमें पूछा गया था कि क्या सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक वोट बटोरने का कोई शिगुफा है. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश यह सुनिश्चित करने की है कि अगर दंगों को रोका नहीं जा सकता है तो पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यह वोट बटोरने वाला कोई शिगुफा नहीं है. मैं समझता हूं कि पिछले पांच या छह साल में हम अपने देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगों की समस्या का सामना कर रहे हैं..’ प्रधानमंत्री ने सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल के बुनियादी उसूलों की व्याख्या करते हुए कहा, ‘अगर दंगों को नहीं रोका जा सकता, दंगों के पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजा होना चाहिए.’