मुंह में राम, बगल में छूरी. पाकिस्तान की यही नीति है. पहले भारत में बेकूसरों का खून बहाने वाले आतंकवादियों का बचाव करो, फिर घड़ियाली आंसू बहाओ कि भारत-पाकिस्तान की विदेश नीतियों पर आतंकवादी छाप छोड़ने पर कामयाब ना हो जाए. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को अब यही डर सता रहा है.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को डर सता है कि भारत और पाकिस्तान की विदेश नीतिय़ां आतंकवादी हमले की वजह से बदल ना जाए. दोनों मुल्कों के बीच अमन की विदेशी नीति कड़वाहट की विदेश नीति में ना तब्दील हो जाए. उन्हें डर सता है कि भारत औऱ पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट घोलने में आतंकवादी कामयाब हो रहे हैं.
जरदारी साहब रिश्तों में कड़वाहट आने का दुख तो भारत को भी है लेकिन आपको ये क्यों नजर नहीं आता कि आतंकवादी जिस ज़मीन पर भारत में बेकसूरों का खून बहाने की योजना बनाते हैं वो आपकी है. पाकिस्तान के आका को तो ये बात समझनी ही नहीं होती है. ये तो पाकिस्तान के घड़ियाली आंसू हैं. अगर पाकिस्तान को वाकई रिश्तों मे खटास का, मुंबई में बेकूसरों के खून बहने का दर्द होता तो मुंबई हमले की जांच में पाकिस्तान सच का साथ देता, फरेब का नहीं.
बहरहाल घड़ियाली आंसू बहाने में पाकिस्तान के विदेशमंत्री भी पीछे नहीं हैं. पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी एक ताजा बयान दिया है कि भारत औऱ पाकिस्तान को अच्छे पड़ोसी की तरह रहना ही होगा. वक्त आ गया है जब द्विपक्षीय बातचीत फिर से शुरू की जानी चाहिए.
कुरैशी साहब ढीठपन की भी हद होती है. रिश्तों में सुधार की चिंता करने से पहले ये तो तय कर लेते कि मुंबई में बेकसूरों का बेरहमी से खून बहाने वाले गुनहगारों को किए की सजा मिल सके.