पाकिस्तान के विधि मंत्री फारूक नाइक ने सोमवार को कहा कि वह मृत्युदंड की सजा का सामना कर रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के मामले की समीक्षा करेंगे. बहरहाल उन्होंने नई दिल्ली से पाकिस्तानी कैदियों को मानवीय आधार पर उनके देश वापस भेजने के बारे में विचार करने का अनुरोध भी किया है.
सरबजीत पिछले 17 साल से जेल में बंद है। नाइक ने आज उससे यहां लखपत जेल में मुलाकात की. उन्होंने बताया कि उन्होंने जेल के अधीक्षक से सरबजीत की फाइल मांगी ताकि वह उसके मामले का अध्ययन कर सकें. सुप्रीमकोर्ट पूर्व में सरबजीत की दया याचिका को खारिज कर चुका है. नाइक ने जेल के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद केवल राष्ट्रपति को ही संविधान के अनुच्छेद 45 के तहत क्षमादान का या सजा में छूट देने का अधिकार है. यह और कोई नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में मैं भारतीय अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि वह भी पाकिस्तानी कैदियों के मामलों में मानवीय आधार पर विचार करें और उन्हें पाकिस्तान वापस भेजें. नाइक ने कहा कि सरबजीत को वह सभी सुविधाएं दी जा रही हैं जो इस जेल के अन्य कैदियों को मिल रही हैं. उन्होंने बताया कि भारत ने वहां की जेलों में बंद 100 से अधिक पाकिस्तानी कैदियों की सूची मुहैया कराई है.
विधि मंत्री ने कहा कि मैं यह मामला उठाऊंगा और भारतीय अधिकारियों से पाकिस्तानी कैदियों को वापस पाकिस्तान भेजने के लिए कहूंगा. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार पाकिस्तानी कैदियों के मामले उठाएगी ताकि वह अपने देश अपनों के पास लौट सकें. यह पूछे जाने पर कि अगर भारत पाकिस्तानी कैदियों को रिहा कर देता है तो क्या सरबजीत को छोड़ दिया जाएगा नाइक ने कहा कि मेरे पास यह अधिकार नहीं हैं. मैं केवल सरबजीत के मामले का अध्ययन कर सकता हूं सिफारिश कर सकता हूं और मानवीय आधार पर एक रिपोर्ट दे सकता हूं. अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति ही करेंगे.