पाकिस्तान मिलिट्री ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें पाकिस्तानी तालिबान आतंकी कथित रूप से ये कहता हुआ दिखाई दे रहा है कि 'अफगानिस्तान और भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस्लामाबाद से लड़ने के लिए पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादियों को धन और अन्य सहायता दी.' वहीं अफगानिस्तान ने इस दावे का खंडन किया है. अफगानिस्तान और भारत दोनों ने पाकिस्तान पर अपनी धरती पर आतंकवादी हमलों को दोषी ठहराया है.
लियाकत अली जिसे एहसानुल्लाह एहसान नाम से भी जाना जाता है. वो पाकिस्तानी तालिबान का सिनियर कमांडर रह चुका है और बाद में तालिबान दल जमात-उल-अहार का भी. एहसान ने दोनों समूहों के मीडिया अभियान का भी नेतृत्व किया है.
एहसान ने भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च और एनालिसिस विंग (रॉ) और अफगानिस्तान के एनडीएस को पाकिस्तानी तालिबान को सहायता देने का आरोप लगाया है. एहसान ने कहा कि 'एनडीएस और रॉ के साथ संबंध तब बढ़े, जब पाकिस्तान की सेना ने 2014 में उत्तरी वजीरिस्तान में अपने गढ़ों में तालिबान के खिलाफ एक प्रमुख सैन्य अभियान शुरू किया.
जिससे बाद आतंकियों को अफगानिस्तान की सीमा पार भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था. एहसान ने वीडियो में कहा कि उनको आर्थीक मदद के साथ-साथ टारगेट भी दिया जाता था, और हर अटैक पर उनको पैसे भी मिलते थे. मीडिया अभी तक एहसान के दावे की पुष्टि नहीं कर पाई है.
अफगानिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एहसान के इस दावे का खंडन किया है. उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान हमेशा से ही अपने आप को आतंकवाद का पीड़ीत बताता रहा है, जबकी सच्चाई कुछ और है. पाकिस्तान हमेशा भारत और अफगानिस्तान में आतंकवाद का समर्थन करता रहा है. अब जब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में वो अपने आप को पीड़ीत बता रहा है और जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है.
जम्मू कश्मीर के आर्मी बेस कैंप पर हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए एक राजनयिक अभियान चलाया है. वहीं अमेरिका भी पाकिस्तान को हक़ानी नेटवर्क से निपटने के लिए दबाव डाल रहा है. एहसान ने कहा कि अफगानिस्तान की एनडीएस एजेंसी आतंकवादियों को पहचान पत्र प्रदान करके उनकी मदद करती थी. उनका आंदोलन एनडीएस और अफगान बलों के आशीर्वाद के साथ चलता था.