सर्जिकल स्ट्राइक की वजह से पाकिस्तान और वहां पनपने वाले आतंकी डर गए हैं. पिछले एक साल में इस वजह से पाकिस्तान सीमा पर कोई बड़ी वारदात नहीं कर पाया है. जी हां, पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग की मानें तो सर्जिकल स्ट्राइक का कुछ ऐसा ही असर हुआ है.
जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, 'सर्जिकल स्ट्राइक राष्ट्रीय गौरव की घटना रही है और इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिष्ठा कई गुना बढ़ गई है. सर्जिकल स्ट्राइक काफी सफल रहा है और इसे मंजूरी देना पीएम का काफी साहसिक निर्णय था.' उन्होंने कहा कि जून 2015 में म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक किया गया था और इसके बाद फिर सितंबर 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक किया गया.
गौरतलब है कि साल भर पहले 28-29 सितंबर की रात को ही हिंदुस्तान ने दुनिया को बता दिया था कि वो दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारने की कूवत रखता है. भारत के जांबाज सैनिकों ने एलओसी के पार जाकर आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर दिया. भारत के इस साहस को दुनिया ने सलाम किया था. सर्जिकल स्ट्राइक के खुलासे के बाद अमेरिका ने भारत को भी अपना समर्थन दोहराते हुए जोर दिया था कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहिए.
ऐसे हुआ था सर्जिकल स्ट्राइक
रात करीब बारह बजे पुंछ से एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव पर 4 और 9 पैरा के 25 कमांडो सवार होकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दाखिल हुए. नियंत्रण रेखा के पार हेलिकॉप्टर ने इन जवानों को एक सुनसान जगह उतार दिया. हर जगह खतरा था. पाकिस्तानी सेना की फायरिंग की आशंका के बीच इन कमांडोज ने तकरीबन तीन किलोमीटर का फासला रेंग कर तय किया. देश में तबाही मचाने के लिये यहां आतंकियों के लॉन्च पैड्स भिंबर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में स्थित थे.
पाकिस्तानी सेना को भारत के इस कदम का कोई आभास नहीं हुआ. हमले से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर खुफिया एजेंसियां एक हफ्ते से नजर रखे हुए थीं. रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस पूरी मुस्तैदी से आतंकवादियों की एक-एक हरकत पर नजर रखे हुए थी. सेना ने हमला करने के लिए कुल छह कैंपों का लक्ष्य रखा था. हमले के दौरान इनमें से तीन कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया.