सीबीआई की हिरासत में मौजूद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से नीति आयोग की पूर्व सीईओ सिंधुश्री खुल्लर का दूसरी बार आमना-सामना कराया गया. 1975 बैच की रिटायर्ड आईएएस अफसर सिंधुश्री खुल्लर से सीबीआई ने इसलिए आमना-सामना कराया, ताकि आईएनएक्स मीडिया मामले का सच सामने आ सके. बता दें कि वित्त मंत्रालय में तैनात रहीं सिंधुश्री खुल्लर नीति आयोग से पहले योजना आयोग की सचिव थीं. मोदी सरकार में नए बने नीति आयोग का सिंधुश्री खुल्लर को 10 जनवरी 2015 को पहला मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया गया था.
यह दूसरी बार है, जब पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का पूर्व आईएएस अफसर सिंधुश्री खुल्लर से सामना कराया गया. दरअसल आईएनएक्स में नियमों के विपरीत विदेशी निवेश के वक्त खुल्लर वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव थीं. चिदंबरम केस की जांच में जुटी सीबीआई दोनों को आमने-सामने बैठकार पूछताछ से कुछ सबूत हासिल करना चाहती है.
दरअसल, एजेंसियों की जांच में पता चला कि आर्थिक मामलों के विभाग के कुछ अधिकारी इस बात से अवगत थे कि आईएनएक्स मीडिया ने स्वीकृत दर से ज्यादा विदेशी निवेश हासिल किया था. विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को बहुत समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया. जांच के दौरान यह पाया गया कि आईएनएक्स मीडिया ने तमाम सूचनाओं को छिपाने का भी काम किया.
जब सीबीडीटी ने दो सितंबर 2008 से जांच शुरू की तो तब डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (डीईए) की तत्कालीन अतिरिक्त सचिव ने सीबीडीटी को स्पष्ट करते हुए लिखा था कि एफआईपीबी या सरकार की पूर्व स्वीकृति को बढ़ाने की आवश्यकता नहीं होगी. इससे पता चलता है कि सीबीडीटी ने आईएनएक्स मीडिया की ओर से किए फेमा नियमों के उल्लंघन को दबा दिया था.
दरअसल चिदंबरम और सिंधुश्री खुल्लर का सामना आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बा राव के समय होगा, वह उस वक्त डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी थे. राव ने जांच एजेंसियों को बताया कि एफआईपीबी इकाई को आईएनएक्स मीडिया से पुष्टि करनी चाहिए कि अगर आईएनएक्स न्यूज में डाउनस्ट्रीम निवेश था और अगर यह सच था तो यह उल्लंघन था. हालांकि ऐसा कोई उल्लंघन एफआईपीबी के संज्ञान में नहीं लाया गया.