अमेरिका पर 9/11 के आतंकवादी हमले के कुछ ही महीनों के भीतर अमेरिकी सुरक्षा बलों ने अफगानिस्तान की तोरा बोरा पहाड़ियों में अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को घेर लिया था और उसे जिंदा या मुर्दा पकड़ा जा सकता था लेकिन शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने विशाल बल के साथ उस पर हमला नहीं करने का फैसला किया था.
सीनेट की विदेश मामलों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए इस बात पर जोर दिया है कि दिसंबर 2001 में ओसामा को जिंदा या मुर्दा पकड़ने में विफल रहने के दीर्घकालिक और विनाशकारी परिणाम सामने आए और उसके बच निकलने से अफगानिस्तान में आज के आतंकवाद के बीज बोए गए और अब वहां भड़की आग ने पाकिस्तान के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि, ‘धरती के सर्वाधिक दुरूह इलाके में घेरा गया बिन लादेन और उसके सैकड़ों लोग अमेरिकी विमानों के हवाई हमलों से त्रस्त थे. दिन में 100 तक हमले हो रहे थे. बिन लादेन के मारे जाने की संभावना थी लेकिन पाकिस्तान में कुछ ही मील की दूरी पर स्थित एक अभयारण्य को जाने वाले पहाड़ी रास्तों को अवरुद्ध करने की अमेरिकी सैनिकों की अपील को ठुकरा दिया गया.'