रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाले के एक मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया है. सीबीआई वकील का कहना है कि लालू को कम के कम 3 साल की सजा होगी.
ऐसे में उनकी संसद की सदस्यता रद्द होनी तय है और साथ ही उनकी पार्टी के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं. जैसे ही कोर्ट का फैसला आया, विरोधियों ने लालू पर एक-एक करके तीखा हमला शुरू कर दिया.
सबसे पहला हमला बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बोला. उन्होंने ट्वीट किया, 'लालू ने जो बोया वही पाया. बोया पेड़ बबूल का तो फूल कहां से होय. वह इसी के लायक थे?'
वहीं बीजेपी नेता राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि यह बड़ा फैसला है, भले ही देर हुई पर बिहार के साथ न्याय हुआ.
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, 'यही लालू यादव जी कल तक संसद की समिति में बैठकर यह तय कर रहे थे कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल कानून बने या न बने!'
लालू के फैसले पर तृणमूल कांग्रेस नेता मदन मित्रा ने कहा, 'जब हम मंत्री होते हैं एक संवैधानिक पद के लिए जिम्मेदार भी. यह फैसला सभी राजनेताओं के एक संदेश है कि भले ही हमारी दो आंखें हो पर हमें करोड़ निगाहें देख रही हैं. सभी नेता को ईमानदार होना चाहिए.'
वहीं आरएलडी चीफ चौधरी अजित सिंह ने कहा, 'यह सिर्फ लालू का मामला नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दागी नेताओं के अंदर डर बनेगा. मामला 1997 का है, फैसले पर तो टिप्पणी नहीं कर सकता. पर न्याय काफी देर के बाद मिला.'
बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, 'सच्चाई सामने आ गई है. कांग्रेस ने हमेशा लालू की मदद करने की कोशिश की. आखिरी क्षणों तक वह उन्हें बचाने का प्रयास करती रही. कानून से ऊपर कोई नहीं है. बिहार की राजनीति में अक्टूबर माह बेहद अहम होगा.'
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, 'कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है. लालू अब न्यायिक विवेचना का अनुसरण करेंगे.'
आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने माना कि यह पार्टी को भारी झटका है. हालांकि उन्होंने कहा कि इससे पार्टी विचलित नहीं होगी. ऊपरी अदालत में अपील करेंगे. बहुत से लोअर कोर्ट के फैसलों को ऊपरी अदालतें पलट देती हैं. पार्टी इसे चुनौती मानेगी.' उन्होंने कहा, 'संसद सदस्यता की परवाह नहीं है. हमें जनता का समर्थन प्राप्त है. केस तो यूं ही होते रहते हैं.'
बीजेपी नेता वेंकैया नायडू ने कहा कि लालू को बचाने के लिए अध्यादेश लाया गया.
जेडीयू नेता साबिर अली ने कहा कि इस फैसले से पद का दुरुपयोग करने वालों को कड़ा संदेश मिला है.