भारत की आत्मा भले गांवों में बसती हो, लेकिन आजादी के 65 साल बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जैसी मूलभूत बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. देश में हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर अगर एक डॉक्टर भी तैनात किया जाए तो उसी संख्या 24,049 होगी. लेकिन 6,493 पद अभी भी रिक्त पड़े हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद की ओर से संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक उत्तर प्रदेश के अलावा गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे भाजपाई राज्यों में स्थिति और भी खराब है.
यूपी में 3, 692 पीएचसी के लिए 4,509 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें 1648 पद खाली पड़े हैं. छत्तीसगढ़ जैसे इलाके जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली ने आदिवासियों की आबादी दर को भी प्रभावित किया है, वहां 1510 कुल पद में से 1075 पद खाली पड़े हैं.
गुजरात में 1123 में से 345 पद तो मध्य प्रदेश में 1238 में से 424 पद खाली पड़े हैं. जबकि ये तीनों भाजपाई राज्य विकास की ढपली जोरों से बजा रहे हैं.
केंद्र सरकार ने संसद में दिए जवाब में साफ-साफ कहा है कि पब्लिक हैल्थ पूरी तरह से राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र की वित्तीय सहायता दी जाती है.
संसद में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक, अगर हर स्वास्थ्य केंद्र पर एक डॉक्टर को पैमाना मान लिया जाए तो भी छत्तीसगढ़ में 320, गुजरात में 380, यूपी में 831, मध्य प्रदेश में 342 डॉक्टरों की कमी है.