तेल विपणन कंपनियों इंडियन आयल कारपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) को लागत से कम मूल्य पर ईंधन की बिक्री से चालू वित्त वर्ष के दौरान 57,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. हालांकि, जून में ईंधन की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के समय तेल कंपनियों को 53,000 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया गया था.
एक अधिकारी ने कहा, ‘तीनों कंपनियों को डीजल, घरेलू एलपीजी तथा केरोसिन की बिक्री पर रोजाना 131 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है.’ गत 26 जून को पेट्रोल को नियंत्रणमुक्त किए जाने के बाद इसके दाम साढ़े तीन रुपये प्रति लीटर बढ़ गए थे. इसी के साथ डीजल की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर, एलपीजी में 35 रुपये प्रति सिलेंडर तथा मिट्टी के तेल में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी. इस मूल्यवृद्धि के बाद अनुमान लगाया गया था कि तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में 53,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
अधिकारी ने बताया कि उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है, जिससे अब पेट्रोलियम कंपनियों को 2010-11 में 57,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है. उसने कहा कि इसमें से 20,275 करोड़ रुपये का घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ईंधन को लागत से कम मूल्य पर बेचने की वजह से हुआ है.
प्राथमिक तेल उत्पादक कंपनियों ओएनजीसी, गेल और आयल इंडिया ने खुदरा कंपनियों के पहली तिमाही के घाटे का एक-तिहाई बोझ अपने उपर लिया. इन तीनों ने इसके लिए 6,690.68 करोड़ रुपये का योगदान किया है. आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल फिलहाल डीजल की बिक्री पर 2.76 रुपये प्रति लीटर के नुकसान उठा रही हैं.
केरोसिन पर राजस्व हानि 15.41 रुपये प्रति लीटर तथा तथा रसाईं गैस के सामान्य सिलेंडर पर नुकसान 170.57 रुपये तक पहुंच गया है. ओएनजीसी, गेल और आयल इंडिया इन तीन कंपनियों को कच्चे तेल और एलपीजी की खरीद पर कुछ रियायत देती हैं, जिनसे इनके घाटे की कुछ भरपाई हो सके. सरकार ने अब पेट्रोल कीमतों को नियंत्रणमुक्त कर दिया है. अब इस ईंधन पर तेल कंपनियों को साल के शेष माह के दौरान कोई नुकसान नहीं होगा.