मैगी पर बैन लगने के बाद एक महीने में भारत में इंस्टैंट नूडल्स की बिक्री 90 फीसदी तक घट गई है. अब इसकी बिक्री 350 करोड़ रुपये से घटकर महज 30 करोड़ रुपये रह गई है. मैगी पर बैन से पहले यह वर्ग करीब 4 हजार 200 करोड़ रुपये सालाना था.
एसोचैम के एक अधिकारी के मुताबिक, कुछ वर्गों का भविष्य अधर में लटकने के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में लगी कंपनियों को चिंता है कि इस घटनाक्रम का उनकी कुल निवेश योजनाओं पर असर पड़ सकता है, जबकि कंपनियों को सुरक्षा निरीक्षकों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
बताते चलें कि यूपी के बाराबंकी में यह पाया गया कि मैगी में लेड अपने तय मानक से कई गुना ज्यादा हैं, जो न सिर्फ सेहत के लिए खतरनाक हैं, बल्कि किसी की जान भी ले सकता है. इसके बाद महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, केरल सहित कई राज्यों में मैगी पर बैन लग गया.
(इनपुट: भाषा)