उत्तर प्रदेश में रेत माफिया पर कार्रवाई करने वाली आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर उठे विवाद के बीच राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने देशभर में नदियों के पास से बिना पर्यावरण संबंधी मंजूरी के बालू के खनन या रेत निकालने पर सोमवार को पाबंदी लगा दी. न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि अवैध रेत खनन से सरकारी खजाने को लाखों करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है.
एनजीटी ने उस याचिका पर यह आदेश दिया जिसमें आरोप है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी मशीनरी के साथ मिलीभगत करते हुए इस तरह की गतिविधियां चल रहीं हैं.
एनजीटी के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका का दायरा व्यापक करते हुए कहा कि उसका आदेश पूरे देश में लागू होगा क्योंकि याचिका पर्यावरण के गंभीर मुद्दे को उठाती है.
शुरूआत में पीठ ने यमुना, गंगा, हिंडन, चंबल, गोमती और अन्य नदियों की तलहटी और किनारों से बालू के अवैध खनन पर रोक लगाई लेकिन बाद में अपने आदेश को बदलते हुए कहा कि अवैध तरीके से रेत निकालने का मुद्दा देशव्यापी है.