भारत की कोई भी यूनिवर्सिटी दुनिया की टॉप 200 शैक्षणिक संस्थाओं की सूची में नहीं आती. यह बात भारतीय सरकार भी मानती है. हालांकि इसी संदर्भ में यह भी कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थाओं की रैंकिग के अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय मानक हैं और ये वैश्विक रूप से स्वीकार्य या मान्यता प्राप्त नहीं हैं.
लोकसभा में उदय सिंह और प्रहलाद जोशी के प्रश्न के लिखित जवाब में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षण संस्थाओं की रैंकिग की कई प्रणाली हैं, जिसमें अलग अलग मूल्यों, मापदंडों और मानकों का उपयोग किया जाता है.
उन्होंने कहा कि ये मानक न न तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य हैं और न न ही मान्यता प्राप्त. इनमें से कई मानकों की शिक्षाविदों ने आलोचना भी की है.
थरूर ने कहा कि इनमें से कुछ मानक भारतीय शैक्षणिक संस्थाओं के लिए उपयुक्त नहीं है, इसलिए इस प्रकार की रैंकिंग से निश्चित तौर पर भारतीय शैक्षणिक संस्थाओं की गुणवत्ता निर्धारित नहीं होती है. मंत्री ने कहा कि मसलन, इन रैंकिंग में शोध को काफी तवज्जो दी जाती है, जबकि हमारे विश्वविद्यालय पारंपरिक रूप से शिक्षा प्रदान करने की संस्थाएं रही हैं, न की शोध संस्थान.