बिहार में कोशी नदी में आई बाढ़ से राज्य में स्थिति गंभीर बनी हुई है. इस बार की बाढ़ की चपेट में सुपौल, अररिया, मधेपुरा और पूर्णिया के सैंकड़ों गांव हैं. रेल और सड़क यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बाढ़ की चपेट में फंसे दस लाख लोगों को निकालना पड़ा तो उन्हें राहत कैम्प में रखना होगा. रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और नीतीश सरकार पर नाकामी के आरोप लगाने के बावजूद मदद का पूरा भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा है कि वे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलेंगे, तथा राज्य सरकार को हर संभव मदद मिलेगी.
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कोशी नदी नेपाल तथा उत्तरी बिहार में बहती है. 1934 में आए एक विनाशकारी भूकंप में नदी ने अपना मार्ग बदला था. इसके नाम पर बिहार के एक प्रमण्डल का नाम भी रखा गया है. इसमें प्रतिवर्ष आनेवाली भयानक बाढ़ के कारण इसे बिहार का शोक भी कहा जाता है. |
सुपौल में बाढ़ ने जिले के पांच प्रखंडों को प्रभावित किया है. इससे करीब नौ लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है.
उधर मधेपुरा में बाढ़ का पानी शहर के कई क्षेत्रों में तीन से चार फुट तक बह रहा है. मधेपुरा, मुरलीगंज के बीच दीनापट्टी हाल्ट के बीच रेलवे पटरी भी बाढ़ के पानी में डूब गया है. जिसके कारण मधेपुरा और पूर्णिया के बीच सभी रेलगाड़ियों का परिचालन रद्द कर दिया गया है.
कटिहार के अमदाबाद प्रखंड के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. जिलाधिकारी देवोत्ताम वर्मा ने बताया कि प्रखंड की सभी 14 पंचायतों में बाढ़ का पानी फैल गया है और प्रखंड का संपर्क जिले के अन्य भागों से टूट गया है.
समस्तीपुर जिले के विधापति नगर समेत चार प्रखंडों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है और इन प्रखंडों के करीब 50 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं.
जिले के सुलतानपुर, पतसिया, चापर, दरबा, छौड़ाही, सिरदिलपुर, शाहपुर, उण्डी, बलहा, लोदियाही, मऊ, घनेशपुर, गोनुचक समेत अन्य गांवों में भारी तबाही मची है. बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में जिला प्रशासन द्वारा नावें चलाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. बिहार के पूर्व मंत्री व राजद विधायक राम लखन महतो और कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष राम कलेवर प्रसाद सिंह ने सरकार से समस्तीपुर जिले के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में भी युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य चलाने की मांग की है.
बिहार में हर साल बाढ़ आती है. हर साल हजारों लोग मरते हैं, फसलें बर्बाद होती हैं. लेकिन इस सिलसिले में कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है और ना ही इससे निपटने की कोई तैयारी होती है.
बिहार में बाढ़ आने की मुख्य वजह नेपाल से आने वाला पानी है. नेपाल में कोशी का कुशहा बांध 1960 में बना था, तबसे पहली बार यहां इतनी भयंकर बाढ़ आई है. नदी की धारा बदलने से तबाही बढ़ गई है. कोशी बारहों महीने बहने वाली नदी है. इस बाढ़ से 20 लाख लोगों पर विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है.