चुनाव आयोग के नोटिस के बाद 1984 के दंगा पीड़ितों को पांच लाख रुपये के मुआवजे पर सरकार ने चुप्पी साध ली है. आयोग के पत्र के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि उसने मामले में अभी कोई फैसला नहीं लिया है. सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस तरह मामले में आदर्श आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
निर्वाचन आयोग के पत्र के जवाब में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उसने फैसला नहीं किया है और औपचारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की गई है. निर्वाचन आयोग के पत्र का जवाब देने की समय सीमा सोमवार शाम समाप्त हो रही थी और इसी के बीच मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया. मंत्रालय ने निर्वाचन आयोग को बताया कि उसने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया है.
गौरतलब है कि सरकार ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों के 3,325 पीड़ितों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की मंशा जाहिर की थी. 3,325 पीड़ितों में से 2,733 लोग अकेले दिल्ली में मारे गए थे, जबकि बाकी लोग उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मारे गए.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को पिछले तीन महीनों में पीड़ित परिजनों की शिकायतों के संबंध में विभिन्न सिख संगठनों की ओर से कई याचिकाएं प्राप्त हुई हैं. ताजा मुआवजा राशि से सरकारी खजाने पर 166 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा.