एक हर्फों का उस्ताद, तो दूसरा सुरों का सरताज. एक ने लिखा और दूसरे ने उस लिखे को होठों से छूकर अमर कर दिया. निदा फाजली और जगजीत सिंह. और एक तारीख- 8 फरवरी. निदा साहब इस जग को जीत 8 फरवरी को ही दुनिया से रुखसत हुए और जगजीत इसी दिन इस जग को जीतने दुनिया में आए थे. ऐसा शायराना संयोग शायद ही कोई दूसरा हो.
मुक्तदा हसन निदा फाजली. ने 78 साल की उम्र में सोमवार को आखिरी सांस ली. जगजीत सिंह 8 फरवरी 1941 को पैदा हुए थे. उन्होंने निदा फाजली से पहले दुनिया छोड़ दी, लेकिन पूरी दुनिया में फैले निदा साहब के दीवानों में से अधिकतर ने उन्हें जगजीत के जरिए ही सुना. निदा फाजली की अधिकतर गजलों को जगजीत सिंह ने ही आवाज दी. या कहिए कि निदा फाजली ने जगजीत सिंह की गायकी को नायाब नज्में दी.
दोनों की जोड़ी की मिसाल है 'इनसाइट'
इन दोनों के शब्द और स्वर की जोड़ी के असर को हमेशा बढ़ता ही देखा गया. उनके कुछ खास गानों से जब भी हम रूबरू होते हैं, खो जाते हैं. निदा फाज़ली के दोहों का एलबम जगजीत सिंह ने 1990 के दशक में गाया था. उसने लोकप्रियता का रिकॉर्ड कायम कर दिया था. इस एलबम का नाम था इनसाइट . इसमें भारत की साझी संस्कृति और मानवीयता को बड़ी मासूमियत के साथ पिरोया गया है. बेहद सादगी भरी लिखावट और मधुर आवाज से इस एलबम का खुमार अब भी लोगों के सर चढ़कर बोलता है.
होशवालों को खबर क्या...
फिल्मी गानों में सरफरोश का ‘होशवालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज़ है’ बहुत लोकप्रिय हुआ था. साल 2012 में 8 फरवरी को जगजीत सिंह को याद करते हुए निदा साहब ने इस गाने को दोहराया था. जानकर हैरत होगी कि इस गजल को गाने के लिए जगजीत सिंह ने फिल्म बनाने वालों से कोई फीस नहीं ली थी.
धूप में निकलो...
निदा फाजली के लिखे धूप में निकलो, घटाओ में नहाकर देखो का जगजीत सिंह के गाने के बाद कई भाषाओं में अनुवाद किया गया. अंग्रेजी में इसका अनुवाद करने वाले मुख्तार लायलपुरी ने ही यूट्यूब पर जगजीत सिंह के गाए और निदा के लिखे दोहा, गजल और गानों को सबसे ज्यादा अपलोड किया है.
गालिब के बहाने
इन दोनों शाहकारों ने मिलकर अंदाजे बयां और.. यानी गालिब को संगीत प्रेमियों के बीच भी इंट्रोड्यूस करवाया. इसमें गालिब और उनकी रचनाओं पर निदा के नोट्स के साथ जगजीत की आवाज ने फैंस पर जादू कर दिया था. ना था कुछ... नाम से लोगों के सामने आए इस एलबम ने लोगों के बीच अब तक अपनी खास जगह बनाई हुई है.
कोई फरियाद तेरे दिल में छुपी हो जैसे...
साल 2001 में आई अनुभव सिन्हा की हिंदी फिल्म तुम बिन में निदा के लिखे और जगजीत के गाए इस गजल ने तब हर घर में कब्जा जमा लिया था. इस सुपरहिट गजल के लिए लिखने और गाने वाले दोनों ने लंबा वक्त लिया था.