एनजीटी ने इंडस्ट्रियल वेस्ट को सीधे पंजाब की नदियों में बहाने को लेकर केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है. इस मामले में पंजाब विधानसभा के विपक्ष के नेता सुखपाल खैरा ने आज (बुधवार) एनजीटी चेयरमैन से भी इस मामले पर मुलाकात की और कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को विस्तृत सुनवाई करने का फैसला किया है.
बता दें कि एनजीटी में याचिका लगाई गई है कि इंडस्ट्रियल वेस्ट को सीधे पंजाब की नदियों में बहाने से पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि लोगों को कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं और पंजाब सरकार इंडस्ट्रियल वेस्ट पर लगाम इसलिए नहीं लगा रही है कि ज्यादातर इंडस्ट्रिलिस्ट उनके दोस्त हैं.
सुखपाल खैरा ने अमरिंदर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई शुगर मिल खुद उनके दोस्तों और सरकार के लिए सलाहकार के तौर पर काम कर रहे लोगों की है, लिहाजा पंजाब का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस तरह की इंडस्ट्रियल यूनिट्स को रोकने के लिए कोई काम नहीं कर रहा है. यही वजह है कि उन्हें कोर्ट का रुख करना पड़ा है.
याचिका में कहा गया है कि इससे सीधे तौर पर पंजाब के लोग प्रभावित हो रहे हैं. साथ ही नदियों में पानी का स्तर इतना प्रदूषित हो गया है कि मछलियां और जीव-जंतु भी पानी में मर रहे हैं. इससे प्रभावित होने वाले लोग सिर्फ पंजाब में ही नहीं है बल्कि प्रदूषित पानी ने राजस्थान को भी अपनी चपेट में ले लिया है.
एनजीटी ने इस पूरे मामले को गंभीरता से सुनते हुए राजस्थान और पंजाब सरकार से इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है जिससे गुरुवार को होने वाली सुनवाई में सरकारें अपना पक्ष कोर्ट के सामने पहले ही रख सकें कि इसको रोकने के लिए अब तक कुछ प्रयास हुए हैं या नहीं.
गौरतलब है कि हाल ही में बटाला के करीब स्थित चड्ढा शुगर मिल में शीरे से भरा एक टैंक फटने से कई सौ लीटर रसायन नदी में छोड़ दिया गया था. रसायन मिलने से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई जिससे लाखों छोटी- बड़ी मछलियां और दूसरे जीव जंतुओं की मौत हो गई थी.