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RSS की नई ड्रेसः मराठी में सोचा, हिंदी में बोला और अंग्रेजी में हो गया 'ब्राउन'

खाकी हाफ पैंट की जगह ब्राउन ट्राउजर (फुल पैंट) को संघ के आधिकारिक गणवेश में शामिल किया जा रहा है. इसके बाद फुल पैंट के रंग को लेकर लगाए जा रहे कयास थम गए. पहले इसके नेवी ब्लू या काले होने का अनुमान लगाया जा रहा था.

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91 साल से खाकी हाफ पैंट रही संघ की पहचान
91 साल से खाकी हाफ पैंट रही संघ की पहचान

लंबे समय से चली आ रही चर्चाओं पर विराम लगाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने गणवेश में बड़े बदलाव का ऐलान कर दिया. नागौर में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में फैसला किया गया कि खाकी हाफ पैंट की जगह ब्राउन ट्राउजर (फुल पैंट) को संघ के आधिकारिक गणवेश में शामिल किया जा रहा है. लेकिन इसके साथ ही यह दिलचस्पी बढ़ गई कि संघ ने खाकी की जगह 'ब्राउन' रंग को ही क्यों चुना, जबकि इसके लिए नेवी ब्लू या ब्लैक की भी चर्चा जोरों पर थी.

संघ की ओर से जारी बयान के बाद ट्राउजर का रंग वुडेन ब्राउन या कॉफी ब्राउन को लेकर असमंजस की हालत बनती दिख रही थी. ब्राउन रंग के कई शेड्स होते हैं. इतनी सफाई के बाद संघ के स्वयंसेवकों को इसे लेकर कोई दुविधा नहीं रही.

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बदलाव पर पहली चर्चा मराठी में
संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस विषय में लंबे समय से संघ की आंतरिक बैठकों में चर्चा होती रही है. हमेशा सही समय पर संघ ने बदलाव को स्वीकार किया है. मुख्यालय नागपुर होने से इस विष्य पर मराठी में ही चर्चा की शुरुआत स्वाभाविक है, लेकिन हमने रंग को लेकर हमेशा स्पष्ट रुख रखा. पैंट के रंग में खाकी की जगह मिट्टी का रंग यानी मटमैला ही सोचा गया था. इसे हमने हिंदी में बोलकर समझाने की कोशिश की. बाद में अंग्रेजी में इसे वूडेन या कॉफी ब्राउन ही कहकर प्रचलित कर दिया गया.

मिट्टी से लगाव है रंग चुनने की वजह
मटमैले रंग की पृष्ठभूमि बताते हुए अधिकारी ने बताया कि संघ की शाखा मैदानों में लगती है और स्वयंसेवक मिट्टी पर ही खेलते और इसके गीत गाते हैं. मटमैले रंग चुनने की वजह हम सबका मिट्टी के प्रति लगाव ही है, दूसरी कोई बात नहीं. इस पर हमारे सारे अधिकारी और स्वयंसेवक एकमत हो गए. इसके बाद यह रंग ही निश्चित कर दिया गया.

समय-समय पर बदलाव करता रहा है संघ
संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने बताया था कि अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नई ड्रेस में खाकी हाफ पैंट की जगह भूरे रंग की फुल पैंट को जगह दी गई है. रंग को लेकर उन्होंने कहा कि इसके चुनने के पीछे कोई कारण नहीं है. साथ ही यह भी कहा कि केवल हाफ पैंट ही संघ की पहचान नहीं है. संघ के 91 साल के इतिहास में यह बड़ा बदलाव हुआ है. इसके पहले संघ ने अपने जूते और बेल्ट को भी बदला. अपनी शाखा पर रोजाना के व्यायाम और बौद्धिक विषयों पर भी संघ ने समय-समय पर बदलाव को मंजूर किया है.

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91 साल से खाकी हाफ पैंट रही पहचान
साल 1925 में संघ की स्थापना के बाद से ढीला-ढाला खाकी हाफ पैंट संगठन की पहचान रहा है. शुरू में 1940 तक संघ के गणवेश में खाकी कमीज और हाफ पैंट होते थे और बाद में सफेद कमीज इसमें शामिल हो गई. संघ की ओर से इस बारे में कहा गया कि आज के सामाजिक जीवन में फुल पैंट नियमित रूप से शामिल है और इसी को देखते हुए फैसला किया गया. संघ ने कहा, 'हमने भूरे रंग पर फैसला किया, जिसकी कोई विशेष वजह नहीं है बल्कि यह आराम से उपलब्ध है और अच्छा दिखाई देता है.'

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