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हिमाचल के मंडी जिले में अचानक दरकी पहाड़ी, दरिया में बदल गई घाटी

जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ के 12 दिन होने जा रहे हैं. लेकिन अभी तक दूसरे इलाकों की छोड़िए, राजधानी श्रीनगर भी पानी में डूबा हुआ है. हालात बेहद गंभीर हैं. हिमालय की गोद में हिमाचल में ही एक कस्बे में जैसा हाल बन रहा है, वो श्रीनगर की ही आहट सुनाता है.

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उहल नदी बनी झील
उहल नदी बनी झील

जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ के 12 दिन होने जा रहे हैं. लेकिन अभी तक दूसरे इलाकों की छोड़िए, राजधानी श्रीनगर भी पानी में डूबा हुआ है. हालात बेहद गंभीर हैं. हिमालय की गोद में हिमाचल में ही एक कस्बे में जैसा हाल बन रहा है, वो श्रीनगर की ही आहट सुनाता है.

जम्मू-कश्मीर की राजधानी ही नहीं, देश की राजधानी दिल्ली से भी जम्मू-कश्मीर में हालात सुधारने के लिए मदद जा रही है. लेकिन खतरा ये है कि जैसा श्रीनगर में कुदरती हादसा हुआ, वैसा हिमालय रेंज और भी कई जगहों पर होने का खतरा मंडरा रहा है.

जम्मू कश्मीर की वो आहट पड़ोस के हिमाचल प्रदेश में भी सुनाई पड़ रही है. यहां मंडी जिले में कमांद के पास अचानक पहाड़ी दरक गई. जहां घाटी थी, वो अचानक दरिया में बदल गई. चारों तरफ से रास्ता बंद हुआ और पहाड़ी से कल कल बहने वाली उहल नदी की शक्ल वैसी ही हो गई, जैसा झेलम ने श्रीनगर का बना रखा है.

कुदरत का अलार्म
कुदरत का गुस्सा आसमान से धरती तक फट पड़ा है. श्रीनगर तो उसकी बानगी भर है. इंसानी ताकतें खुद को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं लेकिन सच तो ये है कि हिमालय का बड़ा हिस्सा अंदर से खदबदाया बैठा है. खबरदार होने का अलार्म बजा रहा है.

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चाहे लेह में आया भू-स्खलन हो या पिछले साल केदारनाथ में आई प्रलय या फिर अब जम्मू कश्मीर के एक बड़े हिस्से में सैलाब का कहर. ये सब बता रहे हैं कि हिमालय के कुदरत का कोप बढ़ रहा है. जानकार बता रहे हैं कि इसके पीछे इंसानी गलती का सबसे बड़ा हाथ है.

जम्मू कश्मीर की बाढ के कारणों की गहराई से जांच करने के बाद सेंटर फॉर सांइस एंड इनवारमेंट ने एक रिपोर्ट जारी की. उसमें कहा गया कि ये कुदरत की चेतावनी को नजरअंदाज करने का नतीजा है. नदियों के किनारे अंधाधुंध निर्माण का परिणाम है और इसके चलते नदियों में पानी बढ़ने पर निकास के लिए जगह नहीं बची.

विशेषज्ञों की राय ये बता रही है कि अब सिर्फ डिजास्टर मैनेजमेंट से काम नहीं चलेगा, बल्कि इस मुद्दे पर काम करना होगा कि कुदरत की बनावट और बुनावट से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. नहीं तो हिमालय मे ना जाने और कितने श्रीनगर देखने को मिल सकते हैं.

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