लालकृष्ण आडवाणी के हाशिये पर चले जाने और नए अध्यक्ष नितिन गडकरी के अभी तक कोई पहचान नहीं बना पाने का लाभ उठाते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने आप को आक्रामक रूप से पेश कर रहे हैं.
शहर में आडवाणी और गडकरी से ज्यादा तथा उनके कटआउट से विशाल कटआउट मोदी के लगे हैं. यही नहीं, पटना से प्रकाशित सभी अखबारों में आज अकेले मोदी के पूरे पृष्ठ के विज्ञापन छपे हैं. ये विज्ञापन पार्टी की ओर से नहीं बल्कि, खुद मोदी की तरफ से प्रकाशित कराए गए हैं.
वर्ष 2004 से बिहार में होने वाले किसी भी चुनाव के प्रचार में गुजरात के मुख्यमंत्री को राज्य में नहीं आने देने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जैसे चिढ़ाते हुए, मोदी को इन बड़े बड़े कटआउट्स में ‘‘हिन्दू हृदय सम्राट’’ का बुद्ध की धरती पर स्वागत और अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों में ‘‘बिहार और बिहारियों की सहायता करने वाले नरेंद्र का हम बिहार के लोग स्वागत करते हैं’’ जैसे नारे लिखे हैं.
आज के अखबारों में छपे पूरे पृष्ठ भर के विज्ञापनों में याद दिलाया गया है कि कोसी नदी में आई भीषण बाढ़ की तबाही से उबरने में बिहार की सबसे अधिक सहायता मोदी के गुजरात ने की थी. इसमें यह भी कहा गया है कि बड़े पैमाने पर बिहारियों को गुजरात में रोजगार सहित अन्य अवसर प्रदान किए जा रहे हैं.{mospagebreak}
इस विज्ञापन में यह नहीं बताया गया है कि इसे किसने प्रकाशित कराया है लेकिन बिहार के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के नाम इसमें दिए गए हैं. लेकिन ये लोग कौन हैं, इसकी जानकारी नहीं है.
वर्ष 2004 से लेकर पिछली लोकसभा. विधानसभा के चुनाव तक, प्रचार में कथित मुस्लिम विरोधी छवि वाले नरेंद्र मोदी को नीतीश कुमार यह कह कर राज्य में आने से रोकते रहे कि ‘‘एक मोदी काफी है, दूसरे मोदी :नरेन्द्र: की क्या जरूरत है.’’ बहरहाल, इस बार संभवत: भाजपा के दबाव में नीतीश सरकार ने आडवाणी के साथ मोदी को भी राज्य अतिथि का दर्जा दे कर उन्हें राज्य के एक गेस्ट हाउस में ठहराया है, जबकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए भाजपा के अन्य मुख्यमंत्री विभिन्न होटलों में ठहरे हैं.
अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन में मोदी के बड़ी फोटो के साथ किसी अनजान बिहार निवासी की फोटो लगाई गई है और उसके शीर्ष पर लिखा है ‘‘गुजरात. मेरे घर से दूर मेरा घर’’. इसमें कुछ अनजान बिहारियों की तरफ से यह भी कहा गया है कि बिहार की संकट की घड़ी में गुजरात हमेशा उसके साथ खड़ा रहा है.
इसमें कहा गया है ‘‘गुजरात अपना जन्मस्थान छोड़ कर गए हमारे जैसे कई लोगों के लिए घर से दूर एक घर है और यह ऐसी जगह है जहां हमने सम्मान, शांति और अपार अवसरों का समान मंच पाया.’’