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...तो मोदी के सामने खामोश रहेंगे बिहारी बाबू!

'खामोश' उनका सबसे पसंदीदा डायलॉग है पर लगता है यही शब्द कहीं उनपर भारी न पड़ जाए. आशंका है सबको 'खामोश' बोलकर 'खामोश' कराने वाले बिहारी बाबू को कहीं इस बार बिहार की सबसे बड़ी रैली के सामने खुद ही 'खामोश' ना होना पड़े.

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शत्रुघ्‍न सिन्‍हा
शत्रुघ्‍न सिन्‍हा

'खामोश' उनका सबसे पसंदीदा डायलॉग है पर लगता है यही शब्द कहीं उनपर भारी न पड़ जाए. आशंका है सबको 'खामोश' बोलकर 'खामोश' कराने वाले बिहारी बाबू को कहीं इस बार बिहार की सबसे बड़ी रैली के सामने खुद ही 'खामोश' ना होना पड़े.

जनता शत्रुघ्न सिन्हा के मुंह से 'खामोश' सुने बिना उन्हें नहीं छोड़ती, लेकिन लगता है मोदी के सामने शत्रुघ्न सिन्हा को 'खामोश' बोलने का मौका भी न मिले, क्योंकि अब तक बोलने वालों की लिस्ट में उनका नाम नहीं है. कभी मोदी विरोध का झंडा उठाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा अब मोदी का स्तुतिगान तो कर रहे हैं, लेकिन मोदी के लिए जुटी भीड़ को बिहारी बाबू संबोधित कर पाएंगे इसमें शक है. मोदी की रैली शत्रुघ्‍न सिन्हा के संसदीय क्षेत्र पटना के गांधी मैदान में हो रही है. बीजेपी ने अब तक स्टेज पर बोलने वालों के जिन नामों को मंजूरी दी है, उसमें बिहारी बाबू का नाम नहीं है.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सीपी ठाकुर के मुताबिक मोदी के अलावा राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज बोलेंगे, लेकिन अब तक दूसरे बोलने वाले नेताओं के नाम जारी नहीं हुए हैं. शत्रुघ्न सिन्हा को भी इस बात की भनक है कि हो सकता है उनके बोलने पर सवाल उठ जाए, क्योंकि हाल तक उनकी छवि मोदी विरोधी की रही है. दूसरे अगर मौका भी मिले तो मोदी समर्थक भीड़ उन्हें मंच पर बोलने पर हंगामा कर सकती है. ऐसे में बिहारी बाबू हवा का रुख भांपने में लगे हैं.

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यही वजह है कि शत्रुघ्‍न सिन्हा खुद को मेजबान और मोदी को दूल्हा करार दे रहे हैं. सिन्‍हा ने आजतक से खास बातचीत में कहा, 'मैं गरजूंगा कि नहीं गरजूंगा, बोलूंगा कि नहीं बोलूंगा वो ज्यादा मायने नहीं रखता. इसलिए कि मेरा तो होम स्टेट है, ये मेरा घर है, मेरा क्षेत्र है. उस दिन के दूल्हा नरेन्द्र मोदी हैं. अभी सारा जोश-खरोश मोदी के लिए है ताकि वो हम सब को लेकर दिल्ली के लिए कूच करें इसलिए मेरा बोलना मायने नहीं रखता.'

भीड़ के सामने बीजेपी की पटना में होने वाली हुंकार रैली में मोदी के मंच से बिहारी बाबू के बोलने पर ग्रहण लगा हुआ है पर पूरी कोशिश हो रही है कि बिहारी बाबू को भी बोलने का मौका मिल जाए. पर अब मोदी की रैलियों में दूसरे नेताओं को नहीं सुनने की प्रवृति ने कई नेताओं को खुद अलग रहने पर मजबूर कर दिया है. ऐसे में कई नेता खुद को भाषण देने वालों की लिस्ट से बाहर रखना भी चाहते हैं.

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