एक तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के आने पर अंतिम फैसला होने वाला है, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई नरेंद्र मोदी के शपथ-ग्रहण में आने वाले हैं तो वहीं उनके देश के हेरात शहर में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला हो गया. इस हमले के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या मोदी की ताजपोशी तालिबान को पच नहीं रही और क्या मोदी के खिलाफ तालिबान कोई साजिश रच रहा है? आज तक को कुछ ऐसे विजुअल्स मिले हैं जो तालिबान के नापाक इरादों का कच्चा-चिट्ठा खोल रहे हैं.
नरेंद्र मोदी ने अपनी ताजपोशी से पहले कम से कम पड़ोसी देशों तक तो ये पैगाम पहुंचा ही दिया है कि कड़वाहटों के दौर में हम दोस्ती की नई पहल कर रहे हैं. लेकिन खून के सौदागरों को, अमन के दुश्मनों को ये पसंद नहीं आया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने मोदी के शपथ-ग्रहण समारोह में आने का ऐलान किया तो आतंकवादियों ने अपना खूनी रंग दिखा दिया. दोस्ती के कबूतर उड़े नहीं कि गोलियों की धांय-धांय और हवा में उड़ते बारूद के धुओं से अफगानिस्तान का हेरात शहर भर गया. वहां हमला हुआ भारतीय वाणिज्य दूतावास पर.
गुरुवार की रात करीब 3:30 बजे भारतीय वाणिज्य दूतावास पर रॉकेट, हैंड ग्रेनेड और ऑटोमेटिक राइफल से लैस चार से पांच आतंकियों ने हमला बोल दिया. जवाब में दूतावास पर तैनात आईटीबीपी के जवानों ने मोर्चा संभाला, और एक आतंकवादी को शुरुआती मुठभेड़ में ही मार गिराया.
शपथ ग्रहण से पहले ये हमला क्यों?
कुछ ही देर में आईटीबीपी की मदद के लिए अफगान सेना भी पहुंच गई. दोनों तरफ से घंटों तक गोलीबारी होती रही लेकिन गोलीबारी के उस दौर में भी सबसे बड़ा सवाल ये बना हुआ था कि मोदी के शपथ-ग्रहण से पहले ये हमला क्यों?
धीरे-धीरे हालात बदले, भारतीय दूतावास के तमाम कर्मचारी बच गए. ये आतंकवादियों का निशाना था कि भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताजपोशी से पहले तालिबान अपना असर छोड़ना चाहता है. खुद मनोनीत प्रधानमंत्री मोदी ने भी फोन करके कर्मचारियों का हाल पूछा और सुरक्षा का भरोसा दिलाया.
अब सवाल है कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सरहद पर अपने वजूद के लिए लड़ रहा तालिबान भारत में नए सत्ता परिवर्तन के मद्देनजर चाहता क्या है?
क्या भारतीय आतंकवादियों में तालिबान का असर और बढ़ने वाला है?
क्या मोदी के आने के बाद तालिबान हिंदुस्तान में आतंकवादी हमला तेज कराएगा?
और क्या तालिबान के निशाने पर खुद नरेंद्र मोदी हैं?
इन सवालों का जवाब खंगाला जा रहा है. खुद अफगानी राष्ट्रपति हामिद करजई के सामने भी ये एक बड़ी चुनौती है कि पैर पसार रहे तालिबान पर अंकुश कैसे लगाएं? भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों के बीच अक्सर तालिबान के आतंकी हमले आ जाते हैं. लेकिन अब मामला नरेंद्र मोदी का है, इसलिए उनकी सुरक्षा का भी सवाल जुड़ा हुआ है.
चाहे आतंकवाद का आजमगढ़ मॉड्यूल हो या राजस्थान मॉड्यूल या फिर इंडियन मुजाहिद्दीन हो या सिमी. बस नाम बदल जाते हैं, लेकिन इन सबकी कड़ी जाकर तालिबान से मिल रही है. आज तक के हाथ वो वीडियो लगा है, जिसमें पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान कैंप में ट्रेनिंग चल रही है और ये जानकारी भी हमारे हाथ लगी है कि कैसे उन ट्रेनिंग कैंप में हिंदुस्तान से भी आतंकवादी जाते हैं.
ये सब उस खतरनाक साजिश का पूर्वाभ्यास है, जिसकी आहट हिंदुस्तान सुन रहा है और इसका टारगेट 7 आरसीआर के नए बाशिंदे की तरफ बढ़ रहा है, जी हां इनके निशाने पर नरेंद्र मोदी हैं. बड़े ही सद्भाव वाले माहौल में हिंदुस्तान में सत्ता बदली है, लेकिन खलबली मची है पाकिस्तान अफगानिस्तान के बॉर्डर पर, यहीं से आतंकवादियों के या ये कहिए तालिबानियों के ट्रेनिंग कैंप की भयानक तस्वीरें आज तक के हाथ लगी हैं. एक और डराने वाली बात ये है कि आतंक की ऐसी ट्रेनिंग में हिंदुस्तान के भी आतंकी ग्रुप शामिल हैं.
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव के मुताबिक, '2008 के बाद जो इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी पकड़े गए हैं उनकी इंटरोगेशन में ये पता चला है कि वो अफगानिस्तान जाना चाहते थे और तालिबान ज्वाइन करना चाहते थे. अभी हाल में जो हमने राजस्थान का एक ग्रुप पकड़ा है उस ग्रुप के लोगों ने भी ये डिस्क्लोज किया है कि उनका अल्टीमेट गोल था कि वो अफगानिस्तान जाएं और तालिबान के साथ मिलकर लड़ाई लड़ें. जो लोग पकड़े गए हैं उनसे पूछताछ के दौरान पता चला है कि जो लोग भागे हैं यहां से इस देश से उसमें से काफी अभी भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर पर और कुछ लोग तालिबान के साथ लड़ाईयां लड़ रहे हैं. तो इंटरोगेशन कहती है कि ये लोग तालिबान से जुड़े हैं.'
IM और सिमी की जड़ें तालिबान में हैं
हिंदुस्तान की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को भी इस बात की पूरी जानकारी हाथ लग चुकी है कि आतंक का राजस्थान मॉड्यूल पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा से खाद-पानी पा रहा है. इसी साल 23 मार्च को राजस्थान के जयपुर, अजमेर और उदयपुर में छापेमारी करके दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 10 से ज्यादा इंडियन मुजाहिद्दीन और सिमी के आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें आईएम का चीफ तहसीन भी शामिल था.
सुरक्षा एंजेंसियों ने जब जांच को आगे बढ़ाया तो पता चला कि इनकी शाखाएं हिंदुस्तान के अलग-अलग हिस्सों में भले फैली हुई हैं लेकिन जड़ें तो तालिबान के गढ़ में ही गड़ी हुई हैं. डीसीपी संजीव यादव ने कहा, 'इनकी इंटरोगेशन में है कि इनकी प्लानिंग थी, इनकी जो पाकिस्तान में जो बातें चल रही थी उसके हिसाब से ये तैयारी में लगे हुए थे.'
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हाथ ये वीडियो जब लगा तो पता चला कि तालिबान कितनी बड़ी आतंकवादी साजिश की तैयारी कर रहा है. इस वीडियो को तालिबान के ही एक ग्रुप अंसार उत तौहिद अल हिंद ने जारी किया है, जिसका मकसद हिंदुस्तान में बम धमाकों को अंजाम देना है. वीडियो में आतंकवादियों को लायंस ऑफ इंडिया का नाम दिया गया है.
राजस्थान में पकड़े गए आतंकी
लेकिन सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब चुनाव से ठीक पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजस्थान में छापा मारकर कई आतंकियों को पकड़ा. उनसे पूछताछ में पता चला कि ये आतंकी भी अफगानिस्तान जाने की फिराक में थे. दिल्ली पुलिस ने पहली बार आज तक के कैमरे पर ये भी खुलासा किया कि बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद भारत से फरार आजमगढ़ मॉड्यूल के आतंकी डॉक्टर शाहनवाज और साजिद बड़ा अफगानिस्तान में मौजूद हैं.
इस वीडियो में एक शख्स ऐसा है जिस पर जांच एजेंसियों के अलावा दिल्ली पुलिस की निगाहें भी टिकी हैं. सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियों को लगता है कि ये आतंकवादी भारतीय है और ये इंडियन मुजाहिद्दीन का फरार आतंकी हो सकता है. दिल्ली पुलिस इस पर माथापच्ची क रही है. जांच एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती अब तालिबान में शामिल आतंक के अलग-अलग मॉड्यूल्स की पहचान करना है. और इससे भी ज्यादा तालिबान की उस साजिश को बार-बार डिकोड करना, जिसके निशाने पर भारत के भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो सकते हैं.