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भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े क्यों किए, हम करगिल जैसा जवाब देना जानते हैं: मुशर्रफ

मुंबई हमले के गुनहगार आतंकी हाफिज सईद की तरफदारी करते हुए परवेज मुशर्रफ ने कहा कि हाफिज का संगठन लश्कर 1991 से कश्मीर में लोगों की मदद कर रहा है. वह एक मुजाहिदीन संगठन है आप पाकिस्तान में किसी से भी पूछेंगे तो वह हाफिज सईद के समर्थन में खड़ा होगा.

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परवेज मुशर्रफ (फोटो- रॉयटर्स)
परवेज मुशर्रफ (फोटो- रॉयटर्स)

पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा कि हमले में जैश शामिल हो सकता है लेकिन इमरान सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा कश्मीर में पाकिस्तान की दखल नहीं चाहता है लेकिन फिर क्यों वह पाकिस्तान के मसलों में दखल दे रहा है.

इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल और एग्जीक्यूटिव एडिटर अंजना ओम कश्यप से बातचीत में परवेज मुशर्रफ ने अगर आप सोचते हैं कि फिर से हमारे दो टुकड़े कर देंगे तो आप गलत हैं, क्योंकि अब आप बांग्लादेश नहीं बना सकते. उन्होंने कहा कि आपने क्यों हमारे मुल्क को दो हिस्सों में तोड़ा, अगर अब जंग हुई तो हम कारगिल की तरह जवाब देना जानते हैं.

हमारे मुल्क को क्यों तोड़ा?

मुशर्रफ ने कहा कि आपको कारगिल याद है न, वहां कैसे भारतीय सैनिकों को सब कुछ झेलना पड़ा था, यह पूरा भारत जानता है. क्या आप फिर से कारगिल की जंग चाहते हैं. अगर आप चाहते हैं कि हम कश्मीर में दखल न दें तो फिर आप क्यों पाकिस्तान में दखल दे रहे हैं. क्यों आपने हमारे मुल्क को दो हिस्सों में तोड़ा.

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परवेज मुशर्रफ ने कहा कि हमें धमकाना बंद कीजिये, आपके मंत्री और सेना प्रमुख कहते हैं कि पाकिस्तान को 4 हिस्सों में तोड़ देंगे. हम इसके खिलाफ लड़ेंगे और आप हमें नहीं हरा सकते, हम कारगिल जैसे जवाब देने के लिए तैयार हैं. मुंबई हमले के गुनहगार आतंकी हाफिज सईद की तरफदारी करते हुए मुशर्रफ ने कहा कि हाफिज का संगठन लश्कर 1991 से कश्मीर में लोगों की मदद कर रहा है. वह एक मुजाहिदीन संगठन है आप पाकिस्तान में किसी से भी पूछेंगे तो वह हाफिज सईद के समर्थन में खड़ा होगा.

पुलवामा हमला निंदनीय

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे. पूर्व सेनाध्यक्ष मुशर्रफ ने हमले पर दुख जताते हुए कहा कि मैं 40 साल सेना में रहा हूं, मेरे दिल में भी पुलवामा में मारे गए जवानों के प्रति पूरी संवेदना है. उनके परिवार के प्रति मेरी सहानुभूति है. मैंने 1971 की लड़ाई में अपना सबसे अच्छा दोस्त खोया है. मैं जानता हूं कि अपनों को खोने का गम क्या होता है. उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि जंग के नतीजे क्या होते हैं और परिवारों पर क्या बीतती है.

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