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मुंबई: आतंकी कसाब के वकील अब्‍बास काजमी को हटाया गया

मुंबई हमलों के मामले में आतंकी कसाब की पैरवी कर रहे वकील अब्‍बास काजमी को हटा दिया गया है. स्‍पेशल कोर्ट के इस आदेश के बाद अब वे कसाब की पैरवी नहीं कर सकेंगे.

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26/11 के मामलों की जांच कर रही विशेष अदालत ने पाकिस्तानी बंदूकधारी अजमल कसाब के वकील को ‘‘असहयोग’’ के कारण हटा दिया है. विवादास्पद बयान को लेकर वकील द्वारा बिना शर्त माफी मांगने और उनके प्रति नरमी बरतने के तीन दिन बाद अदालत ने ऐसा किया.

न्यायाधीश एम एल टाहिलियानी ने काजमी को बर्खास्‍त करने का आदेश तब दिया जब काजमी ने अदालत के सुझाव को मानने से इनकार कर दिया. अदालत ने काजमी को कुल 340 गवाहों में से 71 को गवाह चुनने का सुझाव दिया था. इनमें पीड़ितों का इलाज करने वाले डॉक्टर, पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सा कर्मचारी, जिन्होंने पंचनामा किया, प्रयोगशालाओं में फोरेंसिक साक्ष्य की जांच करने वाले और शवों पर दावा करने वाले पीड़ितों के परिजन शामिल हैं. अदालत ने काजमी से पूछा कि 71 गवाहों की प्रथम श्रेणी में से वह कितने प्रत्यक्षदर्शियों से जिरह करना चाहेंगे लेकिन उन्होंने अदालत के सुझाव को खारिज कर सभी 340 गवाहों से जिरह करने पर जोर दिया. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘न्याय के हित में काजमी अदालत के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं. वह सुनवाई को खींचना चाहते हैं और अनावश्यक अदालत के समय को जाया कर रहे हैं.’’

न्यायाधीश ने क्रोधित होते हुए कहा, ‘‘लगता है आजमी में यह भावना घर कर गई है कि वह अपरिहार्य हो गए हैं और उनके बिना सुनवाई नहीं हो सकती. उनको ऐसा लगता है कि उनके बिना अदालत असहाय है.’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह सबके लिए बुरा संकेत है और समय आ गया है कि या तो काजमी स्वयं को मामले से अलग कर लें या अदालत उनकी नियुक्ति को खारिज कर दे.’’ काजमी की जगह अदालत एक और वकील को नियुक्त कर सकती है. न्यायाधीश एम एल टाहिलियानी ने काजमी को मामले के सभी दस्तावेज एवं आरोप पत्र वकील के पी पवार को सौंपने का आदेश दिया जो मामले में उनका सहयोग कर रहे हैं. अदालत में गरमागरम बहस के दौरान काजमी ने जो टिप्पणी की थी उस पर माफी मांगने के बाद टाहिलियानी ने 27 नवंबर को उन्हें बर्खास्‍त नहीं करने का निर्णय किया था.

उन्होंने कहा था कि अभियोजन पक्ष की ओर से दायर गवाहों के शपथ पत्र की वह परवाह नहीं करते. इस वर्ष मार्च में सुनवाई शुरू होने के बाद अदालत ने काजमी को बचाव पक्ष का वकील नियुक्त किया था. न्यायाधीश ने यह बात भी वापस ले ली कि काजमी झूठे हैं. काजमी ने इस बात से इनकार किया था कि विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने आठ मई को अपने पहले संबोधन में कहा था कि वह औपचारिक गवाहों के शपथ पत्र दायर करेंगे. इस पर अदालत ने काजमी को झूठा करार दिया था. मुंबई आतंकवादी हमले की पहली बरसी पर 26 नवंबर को विवाद उभरा था. अभियोजक निकम ने न्यायाधीश को सूचित किया था कि वह 340 औपचारिक गवाहों का शपथ पत्र दायर करना चाहते हैं और ऐसे 233 दस्तावेज बचाव पक्ष के वकील को सौंपा जा चुका है.

निकम ने कहा था कि अदालत का समय बचाने के लिए वह गवाहों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं बुलाना चाहते. न्यायाधीश ने जब काजमी से पूछा कि क्या वह इन गवाहों से जिरह करना चाहते हैं तो काजमी ने कहा कि निकम के अदालत में शपथ पत्र दायर करने के बाद ही वह अपनी रणनीति का खुलासा करेंगे. निकम ने कहा कि उन्होंने आठ मई को अपने पहले संबोधन में अदालत को सूचित कर दिया था कि वह ऐसा शपथ पत्र दायर कर सकते हैं. बहरहाल काजमी ने निकम के दावे पर आपत्ति जताई और कहा कि अपने पहले संबोधन में उन्होंने ऐसा कोई खुलासा नहीं किया था जिससे न्यायाधीश को कहना पड़ा कि वह झूठ बोल रहे हैं. जब 27 नवंबर को मुद्दा सुलझ गया तो 340 शपथ पत्रों की प्रति आधिकारिक रूप से काजमी और दो अन्य अभियुक्तों फहीम अंसारी एवं सबाउद्दीन अहमद को सौंप दी गई.

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