मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले में पाकिस्तानी बंदूकधारी अजमल कसाब और दो भारतीय साजिशकर्ताओं के खिलाफ करीब एक साल तक चली सुनवाई बुधवार को संपन्न हो गयी तथा न्यायाधीश तीन मई को अपना फैसला सुनायेंगे.
विशेष न्यायाधीश एम एल टाहिलियानी ने अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों द्वारा दलीलें पूरी कर लेने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया तथा वह अपना फैसला तीन मई को सुनायेंगे. एक साल चार माह पहले मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों के मामले में कसाब तथा दो भारतीय साजिशकर्ताओं फहीम अंसारी एवं सबाउद्दीन अहमद के खिलाफ मुकदमा चलाया जा रहा था.
यदि आरोपियों को दोषी ठहराया जाता है तो अदालत उसी दिन अभियोजन एवं बचाव पक्ष के वकीलों को बुलाकर सजा की मात्रा के बारे में उनकी दलीलें सुनेगी. अभियोजन ने अपने इस दावे को सही साबित करने के लिए 653 गवाहों से पूछताछ की कि पाकिस्तान स्थित लश्करे तैयबा ने कराची से 10 जिहादी आतंकवादियों को भेज कर भीषण आतंकी हमले को अंजाम दिया.
अदालत ने चार गवाहों से भी पूछताछ की जिनमें आतंकवादियों के खिलाफ अभियान में दलों का नेतृत्व करने वाले नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के दो कमांडो शामिल थे. विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि वह यथासंभव कम समय में सुनवाई के पूरा होने के कारण प्रसन्न हैं. {mospagebreak}
निकम ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने अपनी दलीलों की शुरूआत करते हुए कहा था कि यह राज्य समर्थित आतंकवाद का पुख्ता मामला है जिसमें पाकिस्तानी सेना के साधन शामिल थे. यह तथ्य उस समय साबित हो गया जब डेविड हेडली ने इसे बाद में शिकागो की अदालत में स्वीकार किया.’ पुलिस ने मामले में पिछले साल 26 फरवरी को आरोपपत्र दायर किया था. यह मामला 9 मार्च को मजिस्ट्रेट की अदालत से सत्र अदालत भेजा गया. मामले की सुनवाई के लिए उच्च सुरक्षा वाले केन्द्रीय कारागार में एक विशेष अदालत गठित की गयी.
सुनवाई के दौरान आये विभिन्न नाटकीय मोड़ों को याद करते हुए निकम ने उस घटना का जिक्र किया जब कसाब ने प्रक्रिया को खींचने के मकसद से 17 अप्रैल को अदालत के समक्ष दावा किया कि वह नाबालिग है. अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया क्योंकि चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों ने जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि आरोपी की उम्र 20 वर्ष से अधिक है.
उन्होंने कहा, ‘कसाब ने अल कायदा के नियमों का पालन करते हुए अपने रुख को बदला और अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया. उसने एक बार दावा किया कि उसे जहर देने का प्रयास किया गया और सफेद पाउडर दिखाया जो कि चावल का आटा निकला.’ निकम ने ध्यान दिलाया कि अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए अदालत के समक्ष ‘ठोस एवं संज्ञेय’ साक्ष्य रखे.
उन्होंने कहा कि जांच में अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने भारतीय जांचकर्ताओं को पूर्ण सहयोग दिया. उन्होंने कहा, ‘एफबीआई एजेंट और विशेषज्ञ ने यहां आकर अदालत में गवाही दी. इसके आधार पर हम यह साबित करने में समर्थ हो सके कि आतंकवादी कराची से आये हैं. आतंकवादियों ने जीपीएस आंकड़ों को नष्ट करने का प्रयास किया जिनको हमने एफबीआई की मदद से हासिल किया.’