संसद के मानसून सत्र के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना है. मौजूदा समय में चार केंद्रीय मंत्रियों को उनके कार्य के अलावा अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. बीजेपी सूत्रों ने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल 12 से 15 अगस्त के बीच हो सकता है.
बीजेपी के एक नेता ने कहा, "मानसून सत्र के बाद फेरबदल किया जाएगा और इसके स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त से पहले होने की संभावना है." बता दें कि संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को समाप्त होना है.
मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा बीजेपी द्वारा अपने वरिष्ठ नेता एम. वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर तेज हुई है. वेंकैया नायडू के सूचना व प्रसारण मंत्रालय और शहरी विकास व आवास मंत्रालय का प्रभार क्रमश: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और नरेंद्र सिंह तोमर को दिया गया है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के इस्तीफे के बाद से ही रक्षामंत्री का कार्यभार संभाल रहे है. पर्रिकर अब गोवा के मुख्यमंत्री हैं. इसी तरह अनिल माधव दवे के मई में निधन के बाद से केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन उनके पर्यावरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं.
हो सकते है ये पांच बदलाव
1) कैबिनेट में बदलाव
उप राष्ट्रपति में एनडीए की पोजिशन देखते हुए वेंकैया का वाइस प्रेसिडेंट बनना तय माना जा रहा है. वेंकैया के मंत्रालयों का प्रभार स्मृति और तोमर को सौंपा गया है. RSS का एक हिस्सा एक सीनियर बीजेपी जनरल सेक्रेटरी को डिफेंस मिनिस्टर बनाए जाने के फेवर में है. लेकिन, संघ ने नरेंद्र मोदी को कैबिनेट में बदलाव या उसे बढ़ाने में फ्री हैंड दे रखा है.
2) संगठन में हो सकता है बदलाव
पिछले दिनों अमित शाह और RSS के टॉप लीडर्स के बीच कई दौर की मीटिंग हुई. माना जा रहा है कि इसमें संभावित कैबिनेट विस्तार और संगठन को लेकर चर्चा हुई. सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने RSS चीफ मोहन भागवत के साथ कैबिनेट और संगठन को लेकर मीटिंग की.
3) 2018 असेंबली इलेक्शन की तैयारी
बीजेपी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले इलेक्शन की तैयारियां भी कर रही है. यहां 14-15 साल से पार्टी का शासन है. राजस्थान भी पार्टी के राडार पर है. इन राज्यों में बीजेपी एंटी-इनकम्बेंसी फैक्टर को नजरंदाज करना नहीं चाहती है. 2018 में कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम, नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा के असेंबली इलेक्शन को देखते हुए संगठन में बदलाव की जरूरत भी बीजेपी लीडर्स महसूस कर रहे हैं.
4) 2019 के आम चुनाव के लिए लोकसभा क्षेत्रों पर फोकस करना
पार्टी ऑफिस संभालने वाली नई टीम और स्पोक्सपर्सन 2019 के चुनाव पर फोकस कर रहे हैं, क्योंकि मोदी-शाह 2014 का मैजिक रिपीट करने की कोशिशों में लगे हैं. तैयारियों के लिए राज्यसभा मेंबर्स और मिनिस्टर्स को उन लोकसभा क्षेत्रों पर फोकस करने को कहा जा रहा है, जहां मेंबर्स या मिनिस्टर्स 2019 के आम चुनावों में उतर सकते हैं.
5) रीजनल और छोटी पार्टियों को जोड़ना
राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में 2014 के इलेक्शन में बीजेपी को सफलता मिली. पर इसके बावजूद चुनावी रणनीति बनाने वालों को इस बात का अहसास है कि इन राज्यों में 2019 में सीट बढ़ा पाना मुश्किल है. ऐसे में इस कमी की भरपाई बीजेपी दूसरे राज्यों से करना चाहती है. इनमें ओडिशा, वेस्ट बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में बीजेपी अपनी पैठ को और गहरा करना चाहती है. "2019 की शुरुआती तैयारियों के मद्देनजर पार्टी के सीनियर लीडर्स NDA का कुनबा बढ़ाने के लिए कुछ रीजनल और छोटी पार्टियों को जोड़ सकते हैं."
बता दें कि पिछला मंत्रिमंडल फेरबदल बीते साल जुलाई में हुआ था, इसमें मोदी ने 19 चेहरों को शामिल किया था. पर्यावरण राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की रैंक को कैबिनेट मंत्री का किया गया. इसमें पांच जूनियर मंत्रियों को हटा दिया गया.