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कांग्रेस के चिंतन शिविर में मोदी होंगे 'एजेंडा'!

कांग्रेस की इस हफ्ते जयपुर में होने वाली चिंतन शिविर बैठक में अगले आम चुनावों में नये सहयोगी दलों को तलाशने और भाजपा नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाली संभावित चुनौती के मुद्दों पर जोर रहने की संभावना है.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

कांग्रेस की इस हफ्ते जयपुर में होने वाली चिंतन शिविर बैठक में अगले आम चुनावों में नये सहयोगी दलों को तलाशने और भाजपा नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाली संभावित चुनौती के मुद्दों पर जोर रहने की संभावना है.

पूरे देश को स्तब्ध कर देने वाली राष्ट्रीय राजधानी में हाल ही में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के आलोक में सत्र में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठने की उम्मीद है.

इस मामले में एक प्रस्ताव के पारित होने की संभावना है जिसका मसौदा पत्र तैयार करने के लिए पहले ही उप समिति का गठन किया जा चुका है.

दो दिनों के इस शिविर की शुरुआत 18 जनवरी से जयपुर में होगी. इसके बाद 20 जनवरी को जयपुर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक होगी.

शिविर के एजेंडे में सरकार के कामकाज की समीक्षा किया जाना भी है जिसकी बागडोर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में पिछले नौ सालों से है.

राहुल गांधी के हाथों में बागडोर धीरे-धीरे आने के साथ ही जयपुर शिविर में युवा शक्ति पर खासा जोर होगा.

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चिंतन शिविर में भाग ले रहे 350 प्रतिनिधियों में से 100 से ज्यादा प्रतिनिधि युवा कांग्रेस और एनएसयूआई से हैं.

पंचमढी और शिमला में 1998 और 2003 में हुई चिंता शिविरों में युवा नेताओं की वस्तुत: कोई भूमिका नहीं थी. पार्टी के नेता शिविर को संप्रग तीन के गठन से पहले ‘युवा और अनुभव के सौहार्दपूर्ण मिश्रण’ पर पहुंचने के पार्टी प्रयास के तौर पर बता रहे हैं.

कुछ साल पहले तक पार्टी की सोच पर हावी ‘एकला चलो रे ’ की सोच अब कांग्रेस नेता छोड़ रहे हैं और उत्तर प्रदेश, बिहार में पार्टी की हार के बाद मान रहे हैं कि गठबंधन युग आगे भी चलेगा.

गुजरात विधानसभा चुनावों में मोदी की हैट्रिक के बाद भाजपा की ओर से उनके प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनने की बढ़ती संभावनाओं के बीच वह चिंतन शिविर में बहस का बड़ा मुद्दा बन सकते हैं.

भाजपा ने भले ही मोदी के भविष्य की भूमिका के बारे में कोई घोषणा नहीं की है लेकिन कांग्रेस नेताओं का मानना है कि वह विपक्षी पार्टी के स्टार प्रचारक होंगे और बागडोर उनके हाथों में आएगी.

पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस गुजरात में छह विधानसभाएं लगातार हार चुकी है और वहां वह पिछले दो दशकों से ज्यादा समय से सत्ता में नहीं आई. इस मुद्दे के पार्टी के चिंतन शिविर में हावी रहने की संभावना है.

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